सारण जिले में पिछले तीन-चार दिनों के दौरान जहरीली शराब से करीब 50 लोगों की मौत की सूचना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए गंभीर सवाल खड़ा हुआ है कि क्या वह शराबबंदी की जंग हार जाएंगे। यह सवाल पहले भी पूछा जाता रहा है लेकिन इस बार क्योंकि भारतीय जनता पार्टी उनके साथ सरकार में शामिल नहीं है इसलिए यह ज्यादा मुखर तरीके से सामने आया है।

बिहार में जहरीली शराब पीने से मौतों का आंकड़ा 50 से ज्यादा हो गया है और नीतीश कुमार शराबबंदी के फैसले को लेकर बुरी तरह घिरते दिखाई दे रहे हैं। क्या शराबबंदी वाकई फेल हो गई है?
नीतीश कुमार के लिए यह सवाल न सिर्फ उनके विरोधियों की तरफ से है बल्कि इस मामले में जो उनका समर्थन करते हैं उनकी तरफ से भी है कि क्या वह उस सामाजिक समूह को मौतों से बचा पाएंगे और वह मकसद हासिल कर पाएंगे जिसकी खातिर उन्होंने शराबबंदी लाई है।
जाहिर है सरकार से अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी इस मामले में नीतीश कुमार की सरकार पर काफी आक्रमक है और इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश भी कर रही है तो पलट कर नीतीश कुमार भी यह पूछ रहे हैं कि क्या भारतीय जनता पार्टी यह बताएगी कि उनके शासन वाले राज्यों में जहरीली शराब से कितनी मौतें हुई हैं।