बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में एक बार फिर कहा है कि आजादी की लड़ाई में उसका योगदान नहीं है। इससे पहले नीतीश कुमार संघ मुक्त भारत का नारा दे चुके हैं लेकिन बाद में भाजपा से दोबारा दोस्ती के बाद उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली थी। सवाल यह है कि क्या संघ के बारे में इस सवाल को नैरेटिव बनाकर नीतीश कुमार घर-घर ले जाने का इरादा रखते हैं और इसमें उन्हें कामयाबी मिलेगी?

एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने वाले नीतीश कुमार आजादी की लड़ाई में संघ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। क्या वह इस सवाल को घरों और गांवों तक ले जा पाएंगे?
अगस्त, 2022 में भारतीय जनता पार्टी से दोबारा अलग होने के बाद नीतीश कुमार कोशिश कर रहे हैं कि वे आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ माहौलबंदी करें। उनकी कोशिश है कि एक नैरेटिव बनाएं जिससे दोनों के बारे में समाज में सवाल खड़ा किया जा सके।
इससे पहले नीतीश कुमार ने आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर भी सवाल खड़ा किया था। नीतीश ने कहा कि इनलोगों का आजादी की ल़ड़ाई से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इनके यानी भारतीय जनता पार्टी के मातृ संगठन आरएसएस का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था।