अयोध्या मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने वाला है।
जानिए, क्या हैं अयोध्या विवाद से जुड़े पाँच मुक़दमे
- अयोध्या विवाद
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- 8 Nov, 2019

अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने वाला है। यह फ़ैसला किस आधार पर आएगा? विवादित ज़मीन का मालिकाना हक किसे मिलेगा? आइए, जानते हैं उन पाँचों मुक़दमों के बारे में जो अयोध्या मामले में दायर किए गए हैं।
क्या कोर्ट को इस बात पर अपनी राय देनी है कि विवादित जगह पर पहले राम मंदिर था या नहीं? क्या अदालत को इस मुद्दे पर अपना फ़ैसला सुनाना है कि 6 दिसंबर 1992 को जो इमारत तोड़ी गई, वह मंदिर था या मसजिद? क्या कोर्ट को यह तय करना है कि अगर वह इमारत मसजिद थी तो उसे बाबर ने बनवाया था या किसी और ने? क्या न्यायालय को यह पता लगाना है कि उस भवन में मूर्तियाँ कब और किसने रखीं? क्या कोर्ट को यह आदेश देना है कि वहाँ मंदिर बनाया जाये या मसजिद?
…या कोर्ट को केवल यह निश्चित करना है कि उस जगह पर क़ानूनी तौर पर किसका क़ब्ज़ा बनता है?
जी हाँ, सुप्रीम कोर्ट को यही तय करना है कि अयोध्या में जिस जगह कभी राम जन्मभूमि/बाबरी मसजिद के नाम की इमारत थी, उस जगह पर क़ानूनन किसका अधिकार बनता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी 30 सितंबर 2010 को दिए गए अपने फ़ैसले में ज़मीनी क़ब्ज़े का मामला ही सुलझाया था और किसी भी एक पक्ष के हक़ में सारे सबूत न पाते हुए प्रत्येक पक्ष को बराबर-बराबर हिस्सा देने का आदेश दिया था। इसमें भवन के मुख्य गुंबद जिसके नीचे रामलला की मूर्ति है, उसके नीचे वाले हिस्से को मिलाकर कुल एक-तिहाई हिस्सा एक पक्ष को, भवन के बाहर राम चबूतरे, सीता रसोई और भंडारे वाले हिस्से को मिलाकर कुल एक-तिहाई हिस्सा दूसरे पक्ष को और परिसर का बाक़ी बचा एक-तिहाई हिस्सा तीसरे पक्ष को दिया गया था।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश