इज़राइली कम्पनी एनएसओ द्वारा विकसित साफ़्टवेयर पेगासस को वहाँ की सरकार ने ‘युद्ध के हथियार’ के रूप में घोषित कर रखा है। इससे भारत में जासूसी कराए जाने के आरोप क्यों लग रहे हैं।
विभाजन को लेकर तथ्यों के कुछ नए दरवाजे इश्तियाक अमहद ने खोले हैं और इतिहास के बहुत से ऐसे तथ्यों से हमें अवगत कराया जिनकी जानकारी हममें से बहुतों को नहीं रही होगी।
देश के विभाजन और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर शिक्षाविद प्रो. इश्तियाक अहमद और पूर्व पुलिस अधिकारी व हिंदी के मशहूर साहित्यकार विभूति नारायण राय की बातचीत के बाद अब पढ़िए मुसलिम उम्मा पर चर्चा का लिप्यांतर।
मेरे ख्याल से न्यूक्लियर वॉर इज म्युचुअल सुसाइड। अगर लोग खुदकुश करना चाहते हैं तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन अक्ल की बात तो यही है कि जो सीमा बन चुकी हैं उन्हें मान लो और उन्हें अर्थहीन कर दो। मेरा ऐसा मानना है। यह कहना है पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक इश्तियाक अहमद का।
उनकी वजह से और जवाहलाल नेहरू न होते तो हिंदुस्तान का सत्यनाश पहले दिन से हो जाता। यह तो उनके प्रधानमंत्री काल के वह 17 साल हैं जिसने मॉडर्न इंडिया को बचाए रखा है। यह कहना है लेखक इश्तियाक अहमद का।
इश्तियाक़ पाकिस्तानी मूल के स्वीडिश नागरिक हैं जो स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र और इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं। विभूति नारायण राय के साथ गुफ्तगू हुई।
तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान नामक देश पर छा जाने को आतुर यह काली आँधी किसी शून्य से नहीं उपजी है। इसका सीधा रिश्ता पाकिस्तान के जन्म से जुड़े तर्कों से है।
गलवान घाटी में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद 6–7 महीनों तक देश के साथ पूरा विश्व दम साधे किसी अनहोनी की आशंका में डूबा रहा था। अब दोनों ने पीछे हटने का फ़ैसला किया।
पिछले दिनों पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट या पीडीएम के नाम से बना गठबंधन वैसे तो एक दूसरे की मुख़ालिफ़ सियासी पार्टियों का जोड़ है, पर सेना के प्रति ग़ुस्सा उन्हें एक किये हुये है। क्या इमरान ख़ान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है?