भारतीय उपमहाद्वीप में प्रोफेसर इश्तियाक़ अहमद का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। हिंदू -मुसलिम रिश्तों और इस महादेश के विभाजन के गंभीर अध्येता और छात्र, सभी इशतियाक़ अहमद को जानते हैं। इतिहास और राजनीति शास्त्र के क्षेत्र में उनकी अपनी पहचान है।
भारत विभाजन 2: नेहरू नहीं होते तो हिंदुस्तान का सत्यानाश हो जाता- इश्तियाक़ अहमद
- इतिहास का सच
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- 16 Jun, 2021

हिंदू -मुसलिम रिश्तों और इस महादेश के विभाजन के गंभीर अध्येता और लेखक प्रोफेसर इश्तियाक़ अहमद से इन्ही मुद्दों पर साहित्यकार विभूति नारायण राय ने लंबी बात की है। सत्य हिन्दी इसे तीन खंडों में प्रस्तुत कर रहा है। पेश है दूसरी कड़ी। (लिप्यांतरः फ़ज़ल इमाम मल्लिक)।
हाल ही में उनकी दो पुस्तकें आईं जो काफी चर्चित भी रहीं। पहली पुस्तक - 'पंजाब-ब्लडीड, पार्टीशन्ड ऐंड क्लीनज्ड' कुछ सालों पूर्व आई थी और फिर चंद महीने पहले 'जिन्ना' प्रकाशित हुई।
दोनों किताबें हर गंभीर अध्येता के लिये ज़रूरी दस्तावेज़ हैं हिंदू मुसलिम रिश्तों को समझने के लिये, देश के विभाजन को समझने के लिये। इस उपमहाद्वीप की सांप्रदायिक सियासत को समझने में भी दोनों पुस्तकें काफी मदद करती हैं। किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए ये ज़रूरी किताबें हैं। इन किताबों के ज़रिए एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया गया है कि हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सके ?
इश्तियाक़ पाकिस्तानी मूल के स्वीडिश नागरिक हैं जो स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र और इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं। हालांकि वे अब रिटायर हो गए हैं, लेकिन अब भी उनका यूनिवर्सिटी से संबंध बना हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तानी पंजाब के कई विश्वविद्यालयों में वे विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जाते रहे हैं।
पूर्व पुलिस अधिकारी और हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार विभूति नारायण राय के साथ विभाजन, हिंदू-मुसलिम रिश्तों, कांग्रेस और मुसलिम लीग की सियासत के अलावा सामाजिक-सियासी मुद्दों पर इश्तियाक़ अहमद के बीच गुफ्तगू हुई। सत्य हिंदी डॉटकाम के लिए हुई इस दिलचस्प संवाद से इतिहास के नए दरीचे खुलते हैं और पुरानी धारणायें ध्वस्त होती हैं। पढ़ें पूरी गुफ्तगू की दूसरी किश्त -