देश की सीमाओं की रक्षा करना सरकार का एक महत्वपूर्ण दायित्व होता है। अक्सर सरकार की लोकप्रियता के भिन्न पैमानों में एक यह भी होता है कि उसने सीमाओं की रक्षा किस हद तक की है। यह अलग बात है कि ज़मीन पर सीमा निर्धारण से लेकर उसकी हिफ़ाज़त के तौर-तरीक़ों तक की समझ विकसित करने में सरकारें ही जनता की ‘मदद’ करती हैं। कई बार यह मदद एक ऐसे दुश्चक्र का निर्माण कर देती है जिसमें फँस कर सरकारें सीमा से जुड़े दूसरे महत्वपूर्ण दायित्व को नज़रअंदाज़ करने लगती हैं। वे यह भूल जाती हैं कि जितना महत्वपूर्ण सीमाओं की रक्षा है उससे कम अपने पड़ोसियों के साथ चल रहे सीमा विवादों का हल ढूँढना नहीं है।