59वें राष्ट्रपतीय चुनाव को अमेरिकी गणतंत्र के 244 वर्ष के इतिहास का सबसे अहम चुनाव कहा जा रहा है। क्यों? इसलिए कि अमेरिकी गणतंत्र की बुनियाद ख़तरे में है। आज़ाद ख़यालों और असीमित अवसरों के देश की बुनियाद स्वंतत्रता, समानता, निजता और न्याय जैसे आदर्शों पर रखी गई थी।
यह अमेरिकी इतिहास का सबसे अहम चुनाव क्यों?
- दुनिया
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- 6 Nov, 2020

किसी भी कोण से देख लें। डोनल्ड ट्रंप जैसा नैतिकता मुक्त, ख़तरनाक, विभाजक और ओछा नेता अमेरिका का राष्ट्रपति कभी नहीं बना। इसलिए जॉर्ज बुश से लेकर क्लिंटन, ओबामा और कार्टर तक सारे पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की निंदा करते हैं और उन्हें देश के लिए ख़तरा मानते हैं। उनका जो रूप इस चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिला है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि वे अमेरिकी मूल्यों के लिए ही नहीं बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र लिए भी बुरी ख़बर हैं।
लेकिन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने वर्षों से जड़ें जमाए बैठी राजनीतिक व्यवस्था और नौकरशाही को उखाड़ फेंकने के नाम पर देश के बुनियादी मूल्यों की ही बलि चढ़ा दी है। गणतंत्र के पेड़ को गुड़ाई कर स्वस्थ बनाने के बजाए उसकी जड़ें ही काट डाली हैं।
इतिहासकार और राजनीतिक शास्त्री अमेरिका के इस चुनाव की तुलना सन 1800 के एरोन बर और जेफ़र्सन के चुनाव, 1860 के डगलस और लिंकन के चुनाव और 1932 के हूवर और रूज़वैल्ट के चुनाव से करते हैं। हूवर और रूज़वैल्ट के चुनाव के समय अमेरिका और पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी। अमेरिकी गणतंत्र और उसकी पूंजीवादी व्यवस्था दोनों संकट में थे। डगलस और लिंकन के चुनाव में अमेरिका पर गृहयुद्ध का ख़तरा मंडरा रहा था। बर और जेफ़र्सन के चुनाव में जेफ़र्सन एक ऐसे नेता का सामना कर रहे थे जो अपनी तानाशाही प्रवृत्तियों और सिद्धान्तहीनता के लिए जाना जाता था।