यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पहली वर्षगांठ की पूर्व
संध्या पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इससे जुड़े एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस
प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से दूरी बनाते हुए भारत वोटिंग के दौरान अबस्टेन कर गया।
भारत के इस कदम पर शुक्रवार को यूक्रेन के प्रभारी इवान कोनोवलोव ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने की
मांग वाले प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान से भारत का बाहर रहना हमारे
लिए एक 'संवेदनशील
मुद्दा' है। कीव नई
दिल्ली के समर्थन पर भरोसा करता है। कोनोवलोव ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि दोनों
देशों के बीच एक भरोसेमंद संबंध हैं। उम्मीद है कि भारत "भविष्य में हमारी मदद
करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में पेश किये गये इस प्रस्ताव में 'व्यापक,
न्यायसंगत और स्थायी शांति' लाने और रूस से
यूक्रेन में शत्रुता ख़त्म करने और तत्काल सेना वापस लेने की मांग की गई थी।
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युद्ध रोकने के प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय
यूएनजीए में मतदान के दौरान 141 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के
पक्ष में मतदान किया। जबकि 7 ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। भारत
उन 32 देशों में शामिल है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा
में प्रस्ताव पारित करने के लिए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। चीन ने भी ऐसा ही कदम
उठाया।
भारत के इस कदम बचाव करते हुए संयुक्त
राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यह कदम स्थायी शांति
के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने भारत के पक्ष को
स्पष्ट करते हुए कहा, 'हम आज के प्रस्ताव के घोषित उद्देश्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन स्थायी शांति हासिल करने
के लक्ष्य तक पहुंचने में निहित सीमाओं को देखते हुए हम मतदान में हिस्सा नहीं
लेने को मजबूर हैं।
बीते साल 24 फरवरी को ही रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध शुरु कर दिया था। उसके बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन संकट पर अब तक हुई सभी तीन वोटिंग प्रस्तावों पर भारत ने दूरी बनाकर रखी और हर बार वोटिंग से अनुपस्थित रहा है।
यूक्रेन के प्रतिनिधि कोनोवलोव
ने कहा कि हम, भारत द्वारा जी-20 अध्यक्षता को
युद्ध समाप्त करने के अवसर के रूप में देख रहे हैं। उम्मीद है कि यूक्रेन इस साल
के अंत में समूह की बैठक में वार्ता की मेज पर होगा।
उन्होंने कहा, 'भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान यूक्रेन के लिए भारत का समर्थन होना
बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि जी 20 के ढांचे में, यूक्रेन भाग लेगा और यूक्रेन का विषय निश्चित रूप से मेज पर होगा। हम भारत की
जी-20 अध्यक्षता को इस युद्ध को
रोकने, इस युद्ध को समाप्त करने
और इस युद्ध को जीतने के अवसर के रूप में देखते हैं।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान यूक्रेन के लिए भारत का समर्थन होना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि जी 20 के ढांचे में, यूक्रेन भाग लेगा और यूक्रेन का विषय निश्चित रूप से मेज पर होगा
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भारत यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से लगातार
दूर रहा है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून, राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने
की ज़रूरत पर बल देता रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सितंबर में
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित
करते हुए कहा था कि इस संघर्ष में भारत शांति और संवाद और कूटनीति के पक्ष में है।
रूस द्वारा यूक्रेन
के खिलाफ युद्ध को एक साल होने पर बीते दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन कीव
पहुंचे हुए थे। इसे रूस के खिलाफ यूक्रेन के खुले समर्थन के तौर पर देखा गया था। रूस
ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे उकसाने वाली कार्रवाई कहा था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए परमाणु हमले की चेतावनी भी दे दी।
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