तालिबान ने जितनी जल्दी और आसानी से अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा कर लिया क्या उतनी आसानी से उसे चला भी पाएगा? क्या अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था ऐसी है जिसे तालिबान संभाल सके? ये सवाल इसलिए क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी रही पश्चिमी देशों की आर्थिक सहायता और कर्ज बंद होने वाले हैं। इसके संकेत उस ख़बर से भी मिलते हैं जिसमें अमेरिका ने अपने देश के बैंकों में जमा अफ़ग़ानिस्तान के ही 9.5 बिलियन डॉलर (7 ख़रब रुपये) रिजर्व को फ्रीज कर दिया यानी रोक दिया है। आईएमएफ़ ने भी ऐसा ही क़दम उठाया है। तो तालिबान अफ़ग़ानिस्तान को कैसे चला पाएगा? क्या सिर्फ़ अफीम का नशा बेचकर?