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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

पुतिन ने पश्चिमी देशों को परमाणु हमले की चेतावनी दी, लेकिन क्यों, किस वजह से?

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को पश्चिम को चेतावनी दी कि अगर रूस पर पारंपरिक मिसाइलों से हमला किया गया तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। मॉस्को परमाणु शक्ति देशों द्वारा समर्थित उस पर किसी भी हमले को संयुक्त हमला मानेगा।

पुतिन ने यह चेतावनी क्यों जारी की। यह सवाल सभी के मन में जरूर आएगा। दरअसल, अमेरिका और ब्रिटेन इस बात पर विचार कर रहे हैं कि यूक्रेन को रूस पर पारंपरिक पश्चिमी देशों की मिसाइलें दागने की अनुमति दी जाए या नहीं। यह जानकारी सामने आने के बाद रूस ने भी अपने उस सिद्धांत को बदलने का फैसला किया कि वो किसी भी देश पर परमाणु हमला नहीं करेगा। पुतिन की चेतावनी ने इसे साफ कर दिया कि रूस अब इस सिद्धांत पर कायम नहीं रहेगा।

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पुतिन ने रूस की सुरक्षा परिषद की बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि ये बदलाव तेजी से बदलते ग्लोबल परिदृश्य की प्रतिक्रिया में हैं। पश्चिमी देशों की गोलबंदी ने रूस के लिए नए खतरे और जोखिम पैदा कर दिए हैं। रूस के विशाल परमाणु शस्त्रागार पर हर फैसला लेने वाले 71 वर्षीय क्रेमलिन प्रमुख ने कहा कि वह विशेष रूप से इस महत्वपूर्ण बदलाव पर जोर देना चाहते हैं। पुतिन ने कहा, "किसी भी गैर-परमाणु देश की भागीदारी या समर्थन के साथ रूस के खिलाफ आक्रामकता या हमले को रूसी संघ पर उनका संयुक्त हमला माना जाएगा।"

अगर रूस पर या उसके सहयोगी बेलारूस पर पारंपरिक हथियारों समेत हमला होता है तो रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का भी अधिकार सुरक्षित रखता है।


-व्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति 25 सितंबर 2024 सोर्सः रॉयटर्स

पुतिन ने कहा, "परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए रूस की शर्तें भी स्पष्ट रूप से तय हैं।" उन्होंने कहा कि अगर मॉस्को को अपने खिलाफ मिसाइलों, विमानों या ड्रोनों के बड़े पैमाने पर हमले की शुरुआत का पता चलता है तो वह इस तरह के कदम पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमारा स्पष्टीकरण सावधानीपूर्वक और आशंका में है। रूस के सामने मौजूद आधुनिक सैन्य खतरों की वजह से रूस के पास विकल्प क्या हैं। पश्चिमी देशों ने रूस को उसका किसी पर परमाणु हमला न करने वाला परमाणु सिद्धांत बदलने पर मजबूर किया है।

पुतिन ने 2020 के एक आदेश में मौजूदा परमाणु सिद्धांत पर रोशनी डाली थी। इसमें कहा गया है कि रूस किसी दुश्मन द्वारा परमाणु हमले या पारंपरिक हमले के मामले में या रूस के अस्तित्व पर खतरा मंडराने की हालत में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

पुतिन के परमाणु सिद्धांत में दरअसल पश्चिमी देशों से हमले के खतरों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। रूस के सहयोगी बेलारूस को भी इस परमाणु सिद्धांत का हिस्सा बनाया गया है। यानी अगर बेलारूस पर भी कोई देश इस तरह का हमला करता है तो उसे भी एक तरह से रूस पर हमला माना जाएगा।

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक बिल बर्न्स के अनुसार, 2022 में यूएसए रूस द्वारा सामरिक परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल को लेकर इतना चिंतित था कि उसने पुतिन को ऐसे हथियारों के इस्तेमाल के नतीजों पर चेतावनी दी थी। लेकिन सीन अब एकदम साफ है। अमेरिका, ब्रिटेन और उसके समर्थक देश संयुक्त रूप से रूस पर परमाणु मिसालइलों के हमले पर विचार कर रहे हैं तो पुतिन ने भी अपना परमाणु सिद्धांत बदलने की घोषणा कर दी है।  

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की कई महीनों से अपने पश्चिमी सहयोगियों से आग्रह कर रहे हैं कि वे यूक्रेन को लंबी दूरी की अमेरिकी एटीएसीएमएस और ब्रिटिश स्टॉर्म शैडोज़ सहित पश्चिमी मिसाइलों को रूस के अंदर तक दागने की अनुमति दें, ताकि मॉस्को की हमले शुरू करने की क्षमता को सीमित किया जा सके। ये मिसाइलें दरअसल परमाणु मिसाइलें हैं। अगर यूक्रेन इन्हें पश्चिमी देशों की अनुमति से रूस पर गिराता है तो रूस जवाबी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। यह बात पुतिन की घोषणा से साफ हो गई है।

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क़मर वहीद नक़वी
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