जिस पाकिस्तान को मैंने अस्सी के दशक में देखा था वह अब बर्बाद हो चुका है। उस समय लाहौर के बाज़ारों की रोशनी, चौड़ी सड़कें और शानदार कॉलोनियां उसे भारत के किसी भी शहर से बेहतर दिखाती थी। लेकिन उस दौरान पाकिस्तान की राजनीति की बागडोर एक ऐसे शख्स के हाथों में थी जिसके एक कदम ने उस मुल्क को तबाह और बर्बाद कर दिया। वह और कोई नहीं जनरल जिया उल हक़ थे जिन्होंने उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाने वाले अपने आका ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटकवा दिया। सत्ता हड़पने के बाद जनरल ज़िया ने अपने मुल्क को चलाने की कोशिश तो की लेकिन इसमें उन्हें बहुत सफलता नहीं मिली। तब उन्होंने वह चाल चली जिसने पाकिस्तान को बर्बादी और कट्टरता के रास्ते पर ला खड़ा कर दिया।