दुनिया को जितने दूरगामी और नाटकीय बदलावों की उम्मीदें अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बराक ओबामा से थीं उतनी हाल के दशकों में अमेरिका के किसी और राष्ट्रपति से नहीं रहीं। इसकी दो वजहें थीं। एक तो अफ़्रीकी मूल का अश्वेत व्यक्ति पहली बार अमेरिका का राष्ट्रपति बन रहा था। दूसरे दुनिया राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की आठ साल की निरंकुशता और टकराव की नीतियों से उकता चुकी थी।
जो बाइडन कितना बदल पाये ट्रंप के अमेरिका को?
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- 26 Feb, 2021

जो बाइडन को सत्ता में आए एक महीना से ज़्यादा हो चुका है। कुल मिलाकर बाइडन सरकार ने अभी तक जो कुछ किया है उससे किसी दूरगामी बदलाव की बजाए निरंतरता की तसवीर उभरती है। उन्होंने कुल मिला कर नौ राष्ट्रपतियों के साथ काम किया है। इसलिए उनके पास अनुभव की कमी नहीं है। उन्हें जनादेश भी बदलाव का मिला है। उनके सामने चुनौतियाँ भी ऐसी हैं जो दूरगामी बदलाव चाहती हैं।
ओबामा ने सत्ता संभालते ही अपने कुछ यादगार लयात्मक भाषणों से ऐसा आभास भी दिया था कि मध्यपूर्व और अफ़्रीका को लेकर अमेरिका के पारंपरिक दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आने वाले हैं। लेकिन ओबामा अपने आठ सालों में उन बदलावों को मूर्त रूप नहीं दे पाए जिनकी उनके भाषणों से आहट मिली थी। वे अपने हर मंसूबे पर प्रतिनिधि सभा और सीनेट में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का समर्थन जुटाने और आमराय बनाने में उलझ कर रह गए जो कभी नहीं बन पाई।