भारत में रहने वालों के लिए यह ख़बर नई नहीं है। श्मशानों में जलती चिताओं और दाहकर्म के लिए प्रतीक्षा की कतारों को देख कर कोरोना से मरने वालों के सरकारी आँकड़ों पर संदेह होना स्वाभाविक है। पर अब इस संभावना को लेकर विदेशी मीडिया में भी चर्चा होने लगी है।
मौतें छिपा कर बड़े ख़तरे को न्योत रही है सरकार
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- शिवकांत | लंदन से
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- 28 Apr, 2021

शिवकांत | लंदन से
जानबूझ कर अपनी नाक बचाने के लिए कोविड19 से होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करके दिखाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरनाक़ खेल साबित हो सकता है। महामारी से होने वाली हर मौत दुखदायी है। लेकिन उन के आँकड़े छिपा कर हम भविष्य में और भी बड़े संकट को न्योता दे रहे हैं।
'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने आज अपने दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख जेफ़री जेंटलमन की एक लंबी रिपोर्ट छापी है। लगभग एक सप्ताह पहले 'रॉयटर्स' ने एलस्डेयर पॉल की एक रिपोर्ट छापी थी। पिछले साल विज्ञान पत्रिका 'लान्सेट' में पत्रलेखा चटर्जी ने भारत सरकार के आँकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे।
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शिवकांत | लंदन से
लेखक ब्रिटेन में बसे हुए वरिष्ठ पत्रकार हैं