पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए ग़ैरक़ानूनी जासूसी पर पूरी दुनिया में मचे तहलके के बीच इज़रायल ने इसकी उच्चस्तरीय जाँच शुरू कर दी है। इसके लिए एक अंतर- मंत्रिमंडलीय टीम का गठन किया गया है जो इसके दुरुपयोग किए जाने के आरोपों की जाँच करेगी।
इज़रायली जाँच एजेन्सी नेशनल सुरक्षा परिषद से कहा गया है कि वह इस पूरे मामले की विस्तृत जाँच करे।
नेशनल सुरक्षा परिषद ही एनएसओ से इस स्पाइवेअर के निर्यात का कामकाज देखता है।
बता दें कि पेगासस सॉफ़्टवेअर बनाने वाली कंपनी एनएसओ टेक्नोलोज़ीज़ इज़रायल की एक निजी कंपनी है, जिसका मुख्यालय तेल अवीव के नज़दीक हर्त्ज़लिया में है।
इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी शालेव हूलियो और दूसरे ज़्यादातर कर्मचारी इज़रायली नागरिक ही हैं।
इज़रायली जाँच एजेन्सी पूरे मामले की जाँच करेगी और इसकी विस्तृत रिपोर्ट अंतर- मंत्रिमंडलीय समिति को सौंपेगी। समझा जाता है कि उसके बाद वह रिपोर्ट इज़रायली संसद नेसेट में भी रखी जा सकती है।
एनएसओ जाँच
दूसरी ओर एनएसओ ने कहा है कि वह इस मामले की खुद जाँच करेगा, उसकी जाँच पेगासस सॉफ़्टवेअर के दुरुपयोग तक सीमित रहेगी।
एनएसओ ने यह भी कहा है कि दुरुपयोग साबित हो जाने के बाद उस पार्टी का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
जाँच क्यों?
स्वतंत्र पर्यवेक्षकों का कहना है कि इज़रायली सरकार ज़बरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव में है और उसे टालने के लिए यही इस तरह के जाँच करने जा रही है।
इज़रायल सरकार पर कूटनीतिक दबाव हैं और यदि इसने जाँच नहीं की तो कई देशों के साथ उसके रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता है। इनमें से कई उसके मित्र देश भी हैं।
याद दिला दें कि पेगासस सॉफ़्टवेअर के निशाने पर कम से कम 14 राष्ट्राध्यक्ष थे।
फ्रांस के ग़ैर-सरकारी संगठन फ़ोरबिडेन स्टोरीज़ ने एनएसओ के ग्राहकों का जो डेटा बैंक हासिल किया है, उसमें फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों का फ़ोन नंबर भी है।
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14 राष्ट्राध्यक्ष थे निशाने पर
इतना ही नहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, इराक़ी राष्ट्रपति बरहाम सालेह, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रमफोसा के फ़ोन नंबर भी उस सूची में पाए गए हैं।
लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी, उगान्डा के रुहकना रुगुन्डा और बेल्जियम के प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल भी निशाने पर थे।
निशाने पर एक राजा भी था, वह थे मोरक्को के मुहम्मद षष्ठम।
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क्या जवाब दे इज़रायल?
इज़रायल का कहना है कि सिर्फ सरकार या उसकी एजेंसियों को ही यह स्पाइवेअर बेची जाती है तो लोगों को सरकार और सत्तारूढ़ दल पर ही शक होता है।
हालांकि एनएसओ दावा करता है कि उसका स्पाइवेअर राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रख कर ही बनाया गया है, पर कोई सवाल कर सकता है कि क्या फ्रांस को इसके राष्ट्रपति या पाकिस्तान को इसके प्रधानमंत्री से ही ख़तरा है।
फँसी हुई इज़रायल सरकार डैमेज कंट्रोल के तहत ही जाँच करवा रही है, हालांकि उसे इस स्पाइवेअर के बारे में जानकारी तो पहले से ही है।
इज़रायल सरकार को यह पता पहले से होना चाहिए कि पेगासस सॉफ़्टवेअर किसे बेचा गया है क्योंकि इसकी निगरानी इज़रायली एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद करती है।
भारत में जाँच की माँग
भारत में पेगासस की जाँच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में कराने की माँग जा रही है तो कुछ लोगों ने इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जाँच कराने की माँग की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह स्वत: संज्ञान लेते हुए पेगासस सॉफ़्टवेअर जासूसी मामले की जाँच के आदेश दे।
कांग्रेस नेता और सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसद की स्थायी समिति के प्रमुख शशि थरूर ने कहा है कि वे समिति की अगली बैठक में इस पर पूछताछ करेंगे।
एनएसओ को पेगासस सॉफ़्टवेअर के संभावित दुरुपयोग की आशंका पहले से ही थी। जासूसी का पर्दाफाश होने के तकरीबन तीन हफ़्ते पहले 30 जून को कंपनी ने एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें इस आशंका की ओर इशारा किया गया था।
एनएसओ रिपोर्ट
एनएसओ ग्रुप ने 'पारदर्शिता व दायित्व रिपोर्ट 2021' में कहा था कि यह स्पाइवेअर सरकार या उसकी एजंसियों को बेची जाती है और वे लोगों के मौलिक अधिकारों को सीमित करने में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।
एनएसओ ने 30 जून, 2021 की रिपोर्ट में कहा है कि 40 देशों की 60 एजेंसियों को पेगासस सॉफ़्टवेअर दिया गया है। इनमे 51 प्रतिशत ख़ुफ़िया एजेन्सियाँ, 38 प्रतिशत क़ानून व्यवस्था से जुड़ी एजेन्सियाँ और 11 प्रतिशत सेना है।
रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई थी कि पेगासस सॉफ़्टवेअर का दुरुपयोग कर पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा सकता है।
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