पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे या जैसा कि आजकल मुझे करना पड़ता है। विपक्षी नेता बिलावल भुट्टो पाकिस्तान की संसद में अंग्रेज़ी में बोलते हैं। इमरान ने इस पर आपत्ति की है। उनका कहना है कि उन्हें राष्ट्रभाषा उर्दू में बोलना चाहिए। पाकिस्तान की संसद में अंग्रेज़ी में बोलना 90 प्रतिशत पाकिस्तानी जनता का अपमान है, जो अंग्रेज़ी नहीं समझती।
इमरान ख़ान का अंग्रेज़ी-विरोध
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- 8 Apr, 2019

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे। भारत की तरह पाकिस्तान में भी क़ानून अंग्रेज़ी में बनते हैं और अदालत की बहस और फ़ैसलों की भाषा भी अंग्रेज़ी ही है। अंग्रेज़ी का विरोध कितना जायज़ है?