लोकसभा चुनावों के लिए पार्टियाँ अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही हैं। कई नामी-गिरामी उम्मीदवार रातों-रात पार्टियाँ बदल रहे हैं, उनकी चर्चा सुर्खियों में है लेकिन बीजेपी ने अपने जिन वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया है, उनकी चर्चा सबसे ज़्यादा है। इनमें सबसे प्रमुख लालकृष्ण आडवाणी और डाॅ. मुरलीमनोहर जोशी हैं। ये दोनों नेता बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इन्हें बीजेपी की त्रिमूर्ति समझा जाता रहा है। श्यामाप्रसाद मुखर्जी, बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय के बाद ये ही नेता पिछले कई दशकों से जनसंघ और बीजेपी की पहचान रहे हैं। कई दशकों से वे सांसद रहे हैं। आडवाणीजी राम-मंदिर के देश-व्यापी आंदोलन के सूत्रधार थे।
हिंदुत्व का औरंगज़ेबी चेहरा?
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- 28 Mar, 2019

लालकृष्ण आडवाणी और डाॅ. मुरलीमनोहर जोशी बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इन्हें बीजेपी की त्रिमूर्ति समझा जाता रहा है। लेकिन पहले तो इन्हें ‘मार्गदर्शक मंडल’ में रखा गया था, अब मोदी ने दोनों को बाहर का मार्ग दिखा दिया है।