कल दिल्ली से आलोक जोशी का फोन आया। उन्होंने Hindustan Times में मौसम के बदलने की कोई खबर पढ़ी होगी। कह रहे थे- "कभी आप मौसम पर खबरें लिखते थे। शायद आज भी लिखना चाहें क्योंकि खबर के अनुसार मार्च का तापमान फरवरी में होने लगा है।। मैंने उन्हें बताया कि मैं पहाड़ में अभी जनवरी में ही बुरांश का खिला पेड़ देख आया हूं। फेसबुक पर भी लगाया था। अब जनवरी में ही आम के बौर आने लगे हैं और सहजन के फूल भी एक-दो महीने पहले खिलने लगे हैं।

मौसम के बदलने पर हमारे सरोकार कम होते जा रहे हैं। मौसम के बदलने पर अब हम लोग उतने गंभीर नहीं होते हैं। वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी के लिए 1992 में मौसम का बदलना एक सामान्य खबर नहीं होती थी।