अंबानी की टेलिकाॅम कंपनी ‘रिलायंस एटलांटिक फ़्लैग फ़्रांस’ पर फ़्रांसीसी सरकार ने 1100 करोड़ रुपये का टैक्स कई वर्षों से ठोक रखा था। लेकिन अप्रैल 2015 में जैसे ही रफ़ाल सौदा हुआ, उसके छह माह के अंदर ही फ़्रांसीसी सरकार ने सिर्फ़ 56 करोड़ रुपये में मामला निपटा दिया। क्यों निपटा दिया, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
अब फ़्रांसीसी सरकार और भारत सरकार ने कहा है कि यह शुद्ध संयोग है और इसका रफ़ाल सौदे से कुछ लेना-देना नहीं है। उनका यह मानना ठीक हो सकता है। यदि यह ठीक है तो इसे तीन साल पहले ही उजागर क्यों नहीं कर दिया गया? ऐसा उस समय करते तो शायद रफ़ाल सौदे की दलाली भी उसी समय उजागर हो जाती। लेकिन अब राहुल गाँधी ने आरोप लगाया है कि इस मामले में नरेंद्र मोदी ने फ़्रांस और अंबानी के बीच दलाली की है। सारा मामला अब सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है। यदि 23 मई के पहले अदालत ने कोई उलटी राय जाहिर कर दी तो मोदी के लिए मुसीबत का नया पहाड़ टूट पड़ सकता है।
वैसे, 2019 के चुनाव में आम मतदाता पर इस मामले का कितना असर है, कुछ कहना मुश्किल है। ऐसा लगता है कि इस चुनाव में स्थानीय, प्रांतीय और जातिवादी मुद्दों का असर कहीं ज़्यादा रहेगा।
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