अफगानिस्तान में वहां की तालिबान सरकार ने कल मंगलवार को एक और महिला विरोधी फैसला लिया। तालिबान सरकार के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में निजी और सरकारी यूनिवर्सिटीज में महिलाओं की एंट्री तत्काल प्रभाव से और अगली सूचना तक प्रतिबंधित की जा रही है। यानी वो यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए नहीं आ सकतीं। तालिबान सरकार की कैबिनेट में इसका फैसला लिया गया। अमेरिका ने इस फैसले की निन्दा की है और संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताई है।
अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत शुरू में अधिक उदार शासन देने और महिलाओं और अल्पसंख्यक अधिकारों का वादा करने के साथ सत्ता में आई थी। लेकिन अब तालिबान ने शरिया की अपने कठोर शक्ल में लागू कर दिया है।
उन्होंने मिडिल स्कूल और हाई स्कूल में लड़कियों के आने प्रतिबंध लगा दिया था। महिलाओं को अधिकांश रोजगार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक के कपड़े पहनने का आदेश दिया गया है। महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी है।
हाशमी ने अपने अकाउंट से पत्र को ट्वीट भी किया और न्यूज एजेंसी एपी को एक संदेश में इसकी पुष्टि भी की है।
यूनिवर्सिटी एंट्री बैन का फैसला अफगानिस्तान में लड़कियों द्वारा हाई स्कूल परीक्षा देने के कुछ हफ़्तों बाद आया है। पिछले साल तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तमाम महिला विरोधी आदेश सामने आ रहे हैं।
विश्वव्यापी निन्दा
संयुक्त राज्य अमेरिका ने तालिबान के इस फैसले की आलोचना की और "जवाबी कार्रवाई" की चेतावनी दी। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, तालिबान अपने लोगों को दिए गए भरोसे और वादे से मुकर रहे हैं। यह उन्हें महंगा पड़ेगा और इसकी कीमत उन्हें चुकानी होगी। यह फैसला तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग कर देगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस प्रतिबंध पर "गहरी चिंता" जताई। उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, महासचिव ने दोहराया है कि शिक्षा से वंचित करना न केवल महिलाओं और लड़कियों के समान अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उस देश के भविष्य पर विनाशकारी प्रभाव डालेगा।सोशल मीडिया पर भी अफगानिस्तान के आदेश पर लोग तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि आखिर तालिबान अपने देश की महिलाओं को इतना पीछे क्यों ले जाना चाहते हैं।
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