क्या हैं आरोप?
राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने अपने 14 पेज की लंबी चिट्ठी में 35 बिंदुओं पर चर्चा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर कोरोना की रोकथाम में नाकाम रहने का आरोप तो लगाया ही है, उन पर तुष्टीकरण की नीति अपनाने का आरोप भी मढ़ दिया है।“
'निज़ामुद्दीन मरकज़ के मामले में अल्पसंख्यक समुदाय की तुष्टीकरण की आपकी नीति बिल्कुल साफ़ और अजीब थी। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे सही नहीं कहा जा सकता।'
जगदीप धनकड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल
'कोरोना पर नाकामी छिपाई'
ममता बनर्जी की कल की चिट्ठी पर धनकड़ ने कहा कि 'कोरोना संक्रमण रोकने में अपनी नाकामी छिपाने के लिए आपने यह बहाना ढूंढा है।'पत्र-युद्ध!
राज्यपाल ने इस पर पलटवार करते हुए चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि इस तरह की बातें कर वह अपना अज्ञान ही उजागर करती हैं।सरकार से 36 का आँकड़ा
जगदीप धनकड़ जब से राज्यपाल बन कर पश्चिम बंगाल गए हैं, सरकार के साथ उनका 36 का ही आँकड़ा रहा है। राज्य सरकार उन पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाती रही है, वह पलटवार कर राजभवन की उपेक्षा करने से लेकर नियम क़ानून नहीं मानने तक के आरोप लगाते रहे हैं।
टीवी बहस में राज्यपाल!
राज्यपाल धनकड़ ने टीवी बहस में कह दिया कि राज्य सरकार केंद्र के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करती है, वह उनकी सलाह को नहीं मानती है और ग़ैरक़ानूनी काम कर रही है।क्या राज्यपाल यह बताना चाहते हैं कि राज्य सरकार ने कोरोना रोकने के मामले में केंद्र का कहा नहीं माना, उनकी भी अनसुनी कर दी और रोकथाम में पूरी तरह नाकाम रही?
क्या चाहते हैं राज्यपाल?
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसा कर राज्यपाल बीजेपी की मदद कर रहे हैं क्योंकि वह भी ये आरोप ही राज्य सरकार पर लगाती रहती है।इसके साथ ही वह ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी को नाकाम मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया जा सके। यह साबित किया जा सके कि वह प्रशासन में तो नाकाम रही ही, कोरोना रोकने में भी नाकाम रही और बार बार कहने पर भी किसी की नहीं सुनी, न केंद्र सरकार की और न ही राज्यपाल की।
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