पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि राज्य के वोटरों पर तृणमूल कांग्रेस की पकड़ कमजोर होने की बजाय और मजबूत हुई है। भाजपा की ओर से बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे आक्रामक चुनाव अभियान और प्रतिकूल मुद्दों के बावजूद पार्टी ने न सिर्फ अपनी पिछली सीटें बचाए रखी हैं, उसने भाजपा और कांग्रेस की सीटें भी छीन ली हैं। दूसरी ओर, यहां सीटें बढ़ाने का सपना देख रही भाजपा अपनी पिछली सीटों में से एक-तिहाई बचाने में नाकाम रही है। राज्य में उसकी ओर से सरकार के ख़िलाफ़ उठाए जाने वाले संदेशखाली, नागरिकता क़ानून और तमाम घोटाले जैसे मुद्दे भी तृणमूल कांग्रेस को पछाड़ने में नाकाम रहे।
बंगाल के नतीजों से और मजबूत होकर उभरीं ममता
- पश्चिम बंगाल
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- 5 Jun, 2024

पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने आख़िर बीजेपी को कैसे पटखनी दी? बीजेपी की ओर से सरकार के ख़िलाफ़ उठाए जाने वाले संदेशखाली, नागरिकता क़ानून और तमाम घोटाले जैसे मुद्दे ममता के आगे क्यों नहीं चले?
लेकिन आखिर ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, भाजपा के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी शुरू से ही एक ठोस रणनीति पर आगे बढ़ रही थीं। उन्होंने इसी रणनीति के तहत यहां इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों-कांग्रेस और सीपीएम के साथ हाथ मिलाने की बजाय अकेले तमाम सीटों पर लड़ने का फैसला किया था। आखिरकार उनका फैसला सियासी तौर पर बेहद फायदेमंद साबित हुआ है।