पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आते ही प्रदेश भाजपा में अंदरूनी कलह लगातार तेज हो रही है। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न इलाकों से हिंसा की ख़बरें भी आने लगी हैं। हालांकि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद वाले हालात अभी पैदा नहीं हुए हैं। लेकिन भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं पर हमले तेज होने का आरोप लगाया है।
चुनावी शिकस्त के बाद बंगाल भाजपा में अंदरूनी क़लह तेज
- पश्चिम बंगाल
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- 9 Jun, 2024

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन पर राज्य में पार्टी के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप क्यों लगा रहे हैं? जानिए, शुभेंदु अधिकारी कई नेताओं के निशाने पर क्यों।
नतीजे सामने आने के बाद सबसे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुंह खोला। उन्होंने आरोप लगाया कि एक साजिश के तहत ही उनकी सीट बदल दी गई। नतीजतन उनको हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया। लेकिन निशाने पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ही थे। यह खुला रहस्य है कि शुभेंदु के कहने पर ही दिलीप घोष को मेदिनीपुर सीट से हटा कर बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर भेजा गया था। मेदिनीपुर सीट पर शुभेंदु की करीबी महिला नेता अग्निमित्र पॉल को टिकट दिया गया। नतीजतन दिलीप घोष भी हार गए और अग्निमित्र भी। घोष कहते हैं कि पार्टी के गलत फैसलों ने ही यहां उसकी लुटिया डुबोई है।