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ममता को इटली के शांति सम्मेलन में शामिल होने की मंजूरी क्यों नहीं?

ममता बनर्जी और मोदी सरकार फिर आमने-सामने हैं। इस बार भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर नहीं, बल्कि एक विदेशी दौरे को लेकर। दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को रोम के वेटिकन में विश्व शांति सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेश मंत्रालय ने अनुमति नहीं दी है। इस पर ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की तीखी आलोचना की और जानबूझकर उनकी यात्रा में अड़चन डालने का आरोप लगाया है। तो सवाल है कि क्या राजनीतिक द्वेष के कारण उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी गई है या फिर कुछ अन्य बड़ा कारण है?

भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान ममता ने कहा, 'आप (मोदी सरकार) मुझे कितनी जगहों पर नहीं जाने देंगे? आप मुझे हमेशा के लिए नहीं रोक सकते।' भवानीपुर में 30 सितंबर को उपचुनाव होने हैं। वह इस चुनाव में उम्मीदवार हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अब से क़रीब दो महीने के अंदर विधायक बनना ज़रूरी है। 

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बहरहाल, ताज़ा मामला ममता बनर्जी के इटली के रोम दौरे को लेकर है। इटली की राजधानी में 6 और 7 अक्टूबर को दो दिनों तक विश्व शांति सम्मेलन चलेगा। मदर टेरेसा के ईर्द-गिर्द केंद्रित इस कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के साथ शामिल होंगे। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल भी सम्मेलन में आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल हैं। इसके साथ ही भारत से ममता बनर्जी को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। वह भारत से एकमात्र नेता हैं जिन्हें वह आमंत्रण मिला है। यह समाज के लिए उनके मानवीय प्रयासों की सराहना के तौर पर दिया गया। वह सम्मेलन में भाषण भी देने वाली हैं। हालाँकि, वह विदेश मंत्रालय से मंजूरी के बिना कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकती हैं।

'द इंडिडन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, इटली सरकार ने निमंत्रण में उल्लेख किया है कि ममता बनर्जी की 'महत्वपूर्ण चुनावी जीत' हुई और वह 'सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण कार्य- अपने देश के विकास के लिए, और इस तरह शांति के लिए- दस वर्षों से अधिक समय से कर रही हैं'।

विदेश मंत्रालय ने उन्हें यह कहते हुए सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया कि 'कार्यक्रम किसी राज्य के मुख्यमंत्री की भागीदारी के लिए स्थिति के अनुरूप नहीं है'।

विदेश मंत्रालय से अनुमति नहीं दिए जाने का ज़िक्र करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र ने ईर्ष्या से ऐसा किया है।

ममता ने कहा, 'रोम में विश्व शांति पर एक बैठक थी, जहाँ मुझे आमंत्रित किया गया था। जर्मन चांसलर, पोप (फ्रांसिस) को भी भाग लेना था। इटली ने मुझे भाग लेने के लिए विशेष अनुमति दी थी... फिर भी केंद्र ने यह कहते हुए मंजूरी देने से इनकार कर दिया कि एक मुख्यमंत्री के लिए यह उपयुक्त नहीं है।' 

mamata banerjee allegations after centre refused permission for rome trip - Satya Hindi

ममता ने कहा, 'कई मुख्यमंत्रियों ने इस तरह के निमंत्रणों का सम्मान करने के लिए अनुमति नहीं ली थी, लेकिन मैंने हमेशा अपने देश की विदेश नीतियों के अनुरूप काम किया है। इसलिए, मैंने अनुमति के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मुझे इस कार्यक्रम में एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि बनना था। एक मुसलिम उपदेशक और एक ईसाई धर्मगुरु को भी आमंत्रित किया गया है। मुझे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले के तौर पर शामिल किया गया। मैं जिस एकमात्र वाद में विश्वास करती हूँ वह है मानवतावाद। अगर मुझे यात्रा करने की अनुमति दी जाती, तो मैं इस बारे में बात करती कि कैसे भारतीय, सभी समुदायों में, शांति और सद्भाव से सह-अस्तित्व में हैं। मैं गांधी, नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वल्लभभाई पटेल और अन्य नेताओं के बारे में बात करती। लेकिन उन्होंने मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।'

इसी के साथ उन्होंने दहाड़ा, 

वे मुझे रोकना चाहते हैं। मैं उनसे पूछना चाहती हूँ कि वे मुझे कब तक रोकेंगे? आप मुझे दूसरी जगहों पर जाने से नहीं रोक सकते। आप मुझे हमेशा के लिए नहीं रोक सकते।


ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता देबांग्शु भट्टाचार्य ने ट्वीट किया, 'केंद्र सरकार ने दीदी को रोम यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया! पहले वे चीन यात्रा की अनुमति भी रद्द कर चुके हैं। हमने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए उस फ़ैसले को स्वीकार किया। अब, इटली क्यों मोदी जी? बंगाल से आपको क्या दिक्कत है? शर्मनाक!'

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बता दें कि तृणमूल और बीजेपी के बीच लगातार तनातनी चलती ही रही है। यह तनातनी बंगाल चुनाव के दौरान और ज़्यादा थी जब बीजेपी के लिए केंद्र सरकार के अधिकतर मंत्री पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहे थे। योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी प्रचार के लिए उतारे गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ख़ुद चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे थे। वे सभी टीएमसी नेता ममता बनर्जी को निशाने पर लेते थे और ममता बनर्जी भी बीजेपी के नेताओं को निशाने पर लेती रही थीं। चुनाव बाद ममता बनर्जी की जीत के बाद यह तनातनी और भी बढ़ गई थी जब हिंसा की ख़बरें आई थीं। यह तनातनी अभी ख़त्म भी नहीं हुई है कि अब यह नया मामला सामने आ गया है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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