पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद से हटने की तलवार ममता बनर्जी पर शुरू से ही लटक रही है। पर अब उन्हें इससे निजात मिल सकती है या वे राहत की सांस ले सकती हैं। इसकी वजह यह है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की पाँच सीटों पर उपचुनाव होने हैं और चुनाव आयोग इस मामले में अब दिलचस्पी ले रहा है।
हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा सीटों के उपचुनाव कब होंगे, लेकिन चुनाव आयोग की सक्रियता अहम है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील कुमार ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव एच. के. द्विवेदी के साथ मुलाक़ात की। इस बैठक में राज्य चुनाव आयोग के लोग भी मौजूद थे।
क्या कहा मुख्य सचिव ने?
चुनाव आयुक्त ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव से तीन मुद्दों पर जानकारी माँगी। उन्होंने उनसे राज्य की क़ानून व्यवस्था, बाढ़ की स्थिति और कोरोना की मौजूदा स्थिति पर जानकारी माँगी।
उनका मक़सद यह जानना था कि राज्य में चुनाव कराने लायक स्थिति है या नहीं।
राज्य के मुख्य सचिव ने कहा कि वे उपचुनाव कराने को पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से कहा कि 10 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक राज्य में दुर्गापूजा का त्योहार रहेगा और उस दौरान चुनाव कराना मुश्किल होगा। लिहाज़ा, उसके पहले ही चुनाव करा लिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से कहा कि अभी भी एक महीने का समय है और यदि अभी चुनाव अधिसूचना जारी कर दी जाए तो समय पर चुनाव कराया जा सकता है।
चुनाव क्यों है अहम?
पश्चिम बंगाल में इन उपचुनावों के राजनीतिक निहितार्थ हैं। ममता बनर्जी इस बार विधानसभा चुनाव हार गईं। वे फ़िलहाल विधानसभा सदस्य नहीं हैं। वे इस पद पर छह महीने तक रह सकती हैं, जो 3 नवंबर को ख़त्म हो रहा है। यानी, यदि वे उस समय तक विधानसभा सदस्य नहीं बनती हैं तो उन्हें पद से हटना होगा।
हालांकि नियम के मुताबिक, वे पद से इस्तीफ़ा देकर एक बार फिर छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बन सकती हैं, पर यह उनके स्तर के राजनेता के लिए ठीक नहीं होगा।
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विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कोलकाता के भवानीपुर सीट से इस्तीफ़ा दे दिया। यह सीट ममता बनर्जी की सुरक्षित सीट है, लेकिन इस बार उन्होंने बीजेपी की चुनौती को स्वीकार कर मेदिनीपुर के नंदीग्राम से चुनाव लड़ा था। हार गईं।
शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने इस्तीफ़ा इसलिए दिया कि ममता बनर्जी उस सीट से चुनाव लड़ सकें। पर अब तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव नहीं करवाया है।
चुनाव टालने की राजनीति
तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना चाहिए ताकि खाली पड़ी सीटें भरी जाएं। टीएमसी के सांसद सौगत राय, जवाहर सरकार, सुखेंदु शेखर राय, सज़दा अहमद और महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर राज्य में उपचुनाव कराने की माँग की है।
दूसरी ओर पश्चिम बंगाल बीजेपी उपचुनाव का विरोध कर रही है। उसका कहना है कि कोरोना की वजह से उपचुनाव नहीं होने चाहिए। मजेदार बात यह है कि इसी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का विरोध नहीं किया था। वह अब बिहार में होने वाले पंचायत चुनाव के भी ख़िलाफ़ नहीं है।
सवाल यह है कि उपचुनाव कराए जाएंगे या ममता बनर्जी के ऊपर तलवार लटकती रहेगी?
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