रामनवमी हिंसा के मामले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को झटका लगा है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में रामनवमी समारोह के दौरान भड़की हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए से जाँच का आदेश दिया।
बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस से आतंकवाद विरोधी एजेंसी को जांच स्थानांतरित करने को कहा।
अदालत ने पुलिस को दो सप्ताह के भीतर सभी रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज केंद्र सरकार को स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया ताकि एनआईए जाँच अपने हाथ में ले सके।
पिछले महीने के आख़िरी हफ़्ते में राम नवमी समारोह के दौरान हावड़ा में दो समूहों के बीच झड़प के बाद कई वाहनों में आग लगा दी गई थी, पत्थर फेंके गए और दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी। हावड़ा हिंसा के बाद हुगली जिले और उत्तर दिनाजपुर जिले में भी ऐसी झड़पें हुई थीं।
हिंसक झड़पों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक गतिरोध पैदा कर दिया। दोनों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए सबूत के तौर पर वीडियो शेयर किए।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने एनआईए द्वारा जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि वे 'कार्रवाई से बचने' के लिए राज्य में जाँच से बचना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'वे जानते हैं कि अगर यहाँ जाँच हुई तो वे पकड़े जाएंगे।'
भाजपा ने आरोपों को निराधार बताया और ममता बनर्जी सरकार पर मुसलमानों को खुश करने और हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
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