समाज में महाजन की क्या भूमिका है? यह ख़याल आया तब जब कुछ दिन पहले बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के सामने आए एक मामले की कार्रवाई का ब्योरा पढ़ रहा था। मसला बस वही। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए क़दम से जो तकलीफ़ साधारण जन, बल्कि श्रमिक वर्ग को हो रही है, उससे उन्हें मुक्ति दिलाने की अपील अदालत के सामने थी।
क्या प्रतिष्ठा अब सिर्फ़ सत्ता के प्रतिष्ठान में रह गई है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 27 Apr, 2020

बंबई उच्च न्यायालय ने सरकार को समाज के जाने माने लोगों की मदद लेने की सलाह दी। मैं बंबई उच्च न्यायालय को कहना चाहता था कि इस समाज में अब कोई ऐसा बचा नहीं। सबकी प्रतिष्ठा रौंद डाली गई है। वरना यह कैसे हुआ कि जो विश्व भर में मान्य हैं, वैसे तीन अर्थशास्त्री, अमर्त्य सेन, रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी एक साथ कुछ बोलें और वह कहा हुआ पानी में पत्थर की तरह डूब जाए, कोई तरंग भी न उठे?
अदालत ने लोगों को उनके बुनियादी फ़र्ज़ की याद दिलाई कि उन्हें इस कठिन समय में एक दूसरे के बीच और समाज में बंधुत्व को दृढ़ करना चाहिए। लेकिन इसी सुनवाई में उसने सरकार को समाज के जाने माने लोगों की मदद लेने की सलाह भी दी जिससे वे समाज को उसके कर्तव्य के पालन की गम्भीरता का अहसास दिला सकें।
ये जाने माने लोग कौन हो सकते हैं? आपने इस बीच देखा होगा कि प्रधानमंत्री की अपील पर अमिताभ बच्चन ताली बजा रहे थे। उनकी तस्वीरें छपीं और सोशल मीडिया के द्वारा चारों तरफ़ फैलायी भी गईं। यह समझ है कि उनसे साधारण जन प्रेरणा ले सकते हैं।