जब एक दूसरे से मिलने में भय नहीं था, वैसे समय में किसी एक दोपहर जॉन दयाल ने गपशप में मार्टिन नीमोलर की मशहूर पंक्तियाँ उद्धृत कीं। ये संभवतः पिछली सदी और इस सदी की भी सबसे ज़्यादा उद्धृत की जाने वाली पंक्तियाँ हैं। इनकी प्रसिद्धि का मुकाबला “दुनिया के मजदूरो एक हो” जैसे उद्धरण से ही किया जा सकता है। इनमें जो ‘अर्जेंसी’ का भाव है, वह इनको कविता के दर्जे में पहुँचा देता है। इन्हें पढ़कर अगर आप नीमोलर को कवि मान बैठें तो आपकी ग़लती नहीं। नीमोलर के बारे में कुछ आगे।