प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार ने इसलामोफ़ोबिया शब्द के इस्तेमाल को ग़लत बताया। उनका कहना है कि यह शब्द उस मनोवृत्ति को व्यक्त नहीं करता जो अभी पूरी दुनिया में अलग-अलग रूप में प्रकट हो रही है और मुसलमान जिसका निशाना बन रहे हैं।
कहीं आप भी इसलामोफ़ोबिया से ग्रसित तो नहीं?
- वक़्त-बेवक़्त
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- अपूर्वानंद
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- 24 Mar, 2019


अपूर्वानंद
मुसलमान विरोध का एक बड़ा स्रोत बहुसंख्यकवादी विचार है। वह मुसलमान के ख़िलाफ़ घृणा, घिन का बाक़ायदा प्रचार करता है। ऐसा करके उसे एक मुसलमान विरोधी हिंदू का गठन करने में आसानी होती है। यह बहुसंख्यकवादी हिंदू है जो ख़ुद को प्रतिमान मानता है।
इस शब्द में क्या समस्या है, इस पर हम विचार नहीं करते और दिमाग़ी आलस के चलते जो शब्द हवा में तैर रहे हैं, उन्हीं से काम चला लेते हैं। न्यूज़ीलैंड में अभी मसजिदों पर हुए हमले के बाद यह फिर चर्चा में लौट आया है। यह नहीं कि सिर्फ़ ग़ैर-मुसलमान इसका प्रयोग कर रहे हैं, ख़ुद मुसलमान भी इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं।
अपूर्वानंद
अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाते हैं।