सुनता हूँ कि न्यूयॉर्क में 26 स्ट्रीट और ब्रॉडवे के कोने पर
रहम से इंसानी रिश्ते बेहतर नहीं होते
- वक़्त-बेवक़्त
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- 19 Apr, 2020

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए तालाबंदी के चलते कॉरपोरेट जगत को हुए नुक़सान की भरपाई ज़रूर की जाएगी। इसे राहत राशि नहीं कहा जाता, स्टिम्युलस पैकेज जैसे आकर्षक नाम से पुकारा जाता है। क्यों मज़दूर को मिलने वाली कोई भी राशि या सामग्री स्टिम्युलस नहीं या उसका अधिकार नहीं और क्यों कॉरपोरेट जगत के लिए वह अनिवार्य है?
जाड़ों के महीनों में एक शख़्स हर शाम खड़ा होता है
और माँगता है बिछौने वहाँ बेघरों के लिए
हर राहगीर से अपील करके
यह दुनिया को नहीं बदलेगा
इससे इंसानों के बीच रिश्ते बेहतर नहीं होंगे
यह शोषण का ज़माना छोटा नहीं करेगा
हाँ! कुछ लोगों को रात भर के लिए बिस्तरा हो जाएगा
एक रात भर के लिए वे हवा से बचे रहेंगे
जो बर्फ़ उनपर गिरनी थी वह सड़क पर गिरेगी।
बर्फ़ से बेघर और बेबिस्तर लोगों को बचाने की रहमदिली पर ब्रेख़्त निर्मम आक्रमण करते हैं। हाँ, कुछ लोग कुछ रात बर्फ़ से बच जाएँगे लेकिन मसला यह नहीं है और न यह मसले का हल है।
जो अपील कर रहा है, वह दर्दमंद है, इसमें क्या शक! और वह जिनसे अपील कर रहा है, उनके भीतर भी दया, करुणा को वह जगा रहा है। इसके मेल से किसी तीसरे को ठंड से बचाया जा सकेगा। वह जो इस तरह बचाया जा सकेगा, उसके मन में इन दोनों के लिए, जिनमें एक उसके आगे प्रत्यक्ष होगा और दूसरा अदृश्य, कृतज्ञता का भाव पैदा होना चाहिए। इस तरह इन तीनों के बीच एक रिश्ता बन रहा है। यह इंसानी रिश्ता ही है।