यह इस सरकार के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा अविश्वास प्रस्ताव है। दिल्ली की सड़कों पर चल रहे इन पैरों को देखकर अंग्रेज़ी की कहावत ‘वोटिंग फ़्रॉम देयर फ़ीट’ की याद आ जाती है। ये सब अभी अपने पैरों से ही बता रहे हैं कि इस सरकार पर उन्हें भरोसा नहीं है। वे सरकार, बल्कि सरकारों के किसी आश्वासन को अपने जीवन का आश्वासन नहीं मानते, इसलिए जा रहे हैं।
कोरोना: सड़क पर जनता का अविश्वास मत
- वक़्त-बेवक़्त
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- 30 Mar, 2020

संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के बाद दिल्ली-एनसीआर सहित कई महानगरों से लौट रहे दिहाड़ी मजदूरों को सरकार और उसके आश्वासनों पर क़तई भरोसा नहीं है। इसलिये वे इन महानगरों को छोड़कर अपने गांव जा रहे हैं। इस वर्ग को आपसे-हमसे कुछ नहीं चाहिए। इन लोगों को मालूम है कि हालात ख़राब होने पर महानगर उसे शरण नहीं दे पाएँगे और सबसे पहले उसका ही बलिदान कर देंगे।
यह अविश्वास जनता सरकार के प्रति व्यक्त कर रही है। वह नहीं मान पाती कि इस संकट में सरकार उनका साथ दे सकती है। एक ही हफ़्ते में आख़िर ऐसा क्या हुआ कि जिस सरकार के कहने पर जनता ने दिन भर ख़ुद को बंद कर लिया था, वह उनके हाथ जोड़ने के बावजूद बांध तोड़कर सड़क पर उमड़ आई है?