‘भारत जोड़ो यात्रा’ रफ़्तार पकड़ चुकी है। जैसा तस्वीरों से जान पड़ता है, वह केरल के जिन रास्तों से गुज़र रही है, उनके आस पास के लोगों में उसके प्रति उत्सुकता और उत्साह है। साधारण जनता की एक प्रकार की स्वतः स्फूर्त उल्लासपूर्ण प्रतिक्रिया देखी जा सकती है। लेकिन हिंदी के अख़बार और टेलीविज़न चैनल अभी भी उसे नज़रंदाज़ करने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे लोग जिन्हें राजनीतिक विश्लेषक कहा जाता है, इस यात्रा को लेकर संशय से भरे हुए हैं। यात्रा के प्रति उनमें संदेह का मतलब है, उसके असर और नतीजे को लेकर शंका।
लक्ष्य हासिल कर पाएगी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 19 Sep, 2022

भारत जोड़ो यात्रा ज़रूर उन लोगों को एक जवाब है जो कांग्रेस के अंत का सपना देख रहे हैं। कांग्रेस के जाने माने नेता और सांसद, विधायक जब पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हों तो यह बतलाना कि पार्टी उनके जाने से मर नहीं जाएगी। धर्मनिरपेक्ष भारत के जीवित रहने और कांग्रेस के जीवित रहने में सीधा रिश्ता है, यात्रा का संदेश यही है।
पत्रकार भी पूछ रहे हैं कि आख़िर इससे होगा क्या। क्या जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनके मतदाताओं को यह प्रभावित कर पाएगी? क्या 2024 के चुनाव पर इसका कोई असर पड़ेगा?
कुछ कह रहे हैं कि जहाँ चुनाव होने वाले हैं, उन राज्यों से तो यह गुज़र भी नहीं रही! बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में यह वक्त नहीं गुज़ार रही। फिर उनके मतदाताओं को यह कैसे प्रभावित करेगी?