19,06,657। अख़बार के पहले पन्ने पर सुर्खी के तौर पर यह संख्या नाटकीय लगती है। इसकी कल्पना करते वक़्त और इसे लगाते हुए क्या संपादकों ने एक चुस्त शीर्षक चुनने पर एक-दूसरे की पीठ ठोंकी होगी या एक खामोश आह भरी होगी? यह संख्या कैसे हासिल हुई और इसके क्या मायने हैं? गणित का सवाल होगा, कितने में कितना घटाने से यह 19,06,657 की संख्या मिलेगी?