क्या आपने आतंकवाद विरोधी शपथ ली है? सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करने की शपथ? मेरे एक युवा मित्र ने मुझसे पूछा। 21 मई की रात हो चुकी थी। इस सवाल से मैं चौंक गया। अभी जब कोविड का आतंक इस कदर हावी है कि हम जैसे लोग कायरों की तरह दरवाजे बंद करके घरों में दुबके हुए हैं तब मुझसे किस आतंक का विरोध करने की माँग की जा रही है?
क्या आतंकवाद विरोधी शपथ लेना ज़रूरी है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 24 May, 2021

बात-बात में शपथ लेने का निर्देश जो राज्य अपने लोगों को देता है, वह असुरक्षित राज्य है। लेकिन मेरे युवा मित्र ने पूछा कि यह आतंकवाद विरोधी शपथ आप अभी छात्रों से दिलवा ही कैसे सकते हैं? अभी, जब आपने जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय और दूसरे संस्थानों के कई छात्रों और अध्यापकों को आतंकवाद विरोधी कानून में गिरफ्तार कर रखा है।
“क्या ऐसी कोई शपथ लेनी थी?” मैंने पूछा। “जी! लेनी ही नहीं दिलवानी भी थी।” “आज ही क्यों?” फिर ध्यान आया कि वह 21 मई का दिन था। ठीक 30 साल पहले 21 मई को ही राजीव गाँधी की हत्या कर दी गई थी। लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) के सदस्यों के द्वारा। तब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार थी। इस हत्या को आतंकवादी कार्रवाई माना गया।