बीते दस सालों में चुनावों में कॉंग्रेस की अनगिनत पराजयों और बहुत सी परेशानियों के बावजूद, तमाम तथाकथित चुनावी चिंतकों की ‘तरीके बदलने’ की सलाह के बावजूद कॉंग्रेस ने अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। इसके पीछे कॉंग्रेस का स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास और वर्तमान गांधी-नेहरू की युवा पीढ़ी का ही योगदान है।