बीते दिनों बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में एक 22 वर्षीय युवा रामगोपाल मिश्रा की मौत हो गई। राम गोपाल को किसी ने गोली मारी थी। इससे पहले राम गोपाल एक छत पर चढ़कर वहाँ मौजूद एक धर्म विशेष के झंडे को उखाड़ रहा था। इसी बीच किसी असामाजिक तत्व ने उसे गोली मार दी। राम गोपाल इस धार्मिक जुलूस का हिस्सा था। सवाल यह है कि धार्मिक जुलूस में किसी अन्य धर्म के झंडे को उखाड़ने की कौन सी परंपरा है? और यह भी कि आज लगभग हर धार्मिक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक तनाव पैदा करना इतना आसान कैसे हो गया है? कौन है जो दो समुदायों के बीच झगड़ों की संभावनाओं को धार्मिक त्योहारों के बीच ही तलाशता है? और क्यों?