5 जनवरी, 2022 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के हुसैनीवाला, फिरोज़पुर में एक रैली करने जाने वाले थे जहाँ उन्हें एक राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा करना था। लेकिन ख़राब मौसम की वजह से प्रधानमंत्री का हेलिकॉप्टर भटिंडा एयरपोर्ट से उड़ान नहीं भर सका और प्रधानमंत्री की सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें सड़क मार्ग से हुसैनीवाला ले जाने का निर्णय लिया। बीच रास्ते में कुछ किसान अपनी मांगों को लेकर धरने पर थे इसलिए प्रधानमंत्री के काफिले को 15-20 मिनट के लिए बीच में एक ओवरब्रिज पर रुकना पड़ा। जबकि प्रधानमंत्री सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत उनके काफिले को एक मिनट के लिए भी नहीं रोका जा सकता। ऐसी स्थिति में भारत के प्रधानमंत्री को रोकना उनकी सुरक्षा में एक बड़ी चूक की ओर संकेत है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की ज़िम्मेदारी क्या अमित शाह लेंगे?
- विमर्श
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- 9 Jan, 2022

“अपने सीएम चन्नी को धन्यवाद कहना कि मैं ज़िंदा लौट आया: प्रधानमंत्री”। यदि यह कटाक्ष था तो क्या प्रधानमंत्री के पद की गरिमा के अनुसार था? यदि यह सीधे तौर पर धन्यवाद था तो फिर उन्हें किससे ख़तरा था?
इस चूक के कारण निश्चित ही उनकी सुरक्षा को लेकर ज़रूरी विचार विमर्श उच्च स्तर पर शुरू हो चुका होगा लेकिन वास्तविक प्रश्न तो यह है कि इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? वास्तव में यह किसकी चूक है?