मेरे प्रिय बापू,आपके 71वें जन्मदिवस के खुशनुमा अवसर पर सादर शुभकामनाएँ। ऐसे समय में जब आपका पूरा ध्यान युद्ध और शांति के मसले पर केन्द्रित है, मैं इसमें खलल डालने के लिए माफ़ी चाहता हूँ। लेकिन, युद्ध हो या न हो, जीवन की अबाध धारा अपने विविध रूपों में बहती रहनी चाहिए। गोलाबारी के दरम्यान भी लोगों को प्यार करना और प्यार पाना चाहिए, दोस्त बनाने चाहिए और साथी खोजना चाहिए, हँसना और हँसाना चाहिए, मनोरंजन पाना और मनोरंजन करना चाहिए।
बापू, सिनेमा इतनी बुरी चीज़ नहीं है...
- विविध
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- 2 Oct, 2020

महात्मा गाँधी सिनेमा को थोड़ी हिक़ारत की नज़र से देखते थे। यह बात मशहूर फ़िल्मकार और लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास को अखर गयी। उन्होंने 1939 में बापू को एक खुली चिट्ठी लिख डाली और उन्हें समझाने की कोशिश की कि कुछ लोग अगर ख़राब सिनेमा बना रहे हैं तो इसका यह अर्थ नहीं है कि सिनेमा अपने आप में बुरी, अश्लील और समाज को पथभ्रष्ट करने वाली है। पढ़ें पूरी चिट्ठी।
और, हमेशा की तरह, बच्चों को अपनी समस्याएँ और मुश्किलें लेकर अपने पिताओं की ओर दौड़ना चाहिए। हम, हिन्दुस्तान की संतानें, सांत्वना और सलाह के लिए आपके अलावा - जिन्हें हम पिता की तरह प्यार और सम्मान देते हैं - और कहाँ जायेंगे? आज मैं आपके सामने विचार और स्वीकृति के लिए एक नया खिलौना – सिनेमा - को रख रहा हूँ, जिसके साथ हमारी पीढ़ी ने खेलना सीखा है।
आपके हाल के दो बयानों को देखकर मुझे आश्चर्य और दुःख हुआ है, जिनमें आपने सिनेमा को थोड़ा हिकारत के भाव से देखा है (जैसा मुझे प्रतीत हुआ)।