नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥ इसका मतलब है कि आत्मा को न तो किसी हथियार से काटा जा सकता है, न ही आग से जलाया जा सकता है, न ही पानी से भिगोया जा सकता है और न ही आत्मा को हवा सुखा सकती है। भगवद गीता का यह श्लोक कहानीकार सुधांशु राय की नवीनतम हिंदी थ्रिलर कहानी 'द किलर' के मुख्य पात्र की मनोस्थिति को दर्शाता है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जो एक के बाद एक निर्मम हत्याएँ कर रहा है और अपने कर्मों को सही ठहराने के लिए इस श्लोक को उनका आधार बनाता है।
इस कहानी की शुरुआत डिटेक्टिव बूमराह के साथ होती है जो बनारस में बारिश के मौसम में इस 'किलर' की गुत्थी सुलझाने की जद्दोजहद में विलीन है। वह एक ऐसे सीरियल किलर के बारे में सुराग पाने की कोशिश कर रहा है जो अपने अपराध का कोई निशान नहीं छोड़ता। पीड़ितों के शरीर पर हमला करने या किसी भी घटनास्थल पर हत्यारे के आने अथवा जाने के कोई संकेत नहीं हैं। सभी पीड़ितों में केवल एक ही बात मिलती है कि सबकी आँखें मौत के बाद भी ऐसे खुली रहती हैं मानो अपनी आख़िरी साँस लेने के पहले किसी दृश्य ने उन्हें स्तब्ध कर दिया हो। इसके अलावा, प्रत्येक हत्या से पहले हत्यारा पौराणिक मंत्रों पर आधारित एक पहेली छोड़ता है जिसमें पीड़ित के बारे में सुराग होता है। हालाँकि बूमराह के साथ-साथ पुलिस भी उन पहेलियों में छिपे संदेश को नहीं समझ पाती।
बूमराह के लिए राहत की पहली ख़बर तब आती है जब उसका सहायक सैम पास के गाँव के एक संदिग्ध व्यक्ति की सूचना लेकर आता है जिसका स्केच पुलिस बनवा चुकी है। इस सूचना के आधार पर डिटेक्टिव बूमराह बनारस से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित छोटे से गाँव में पहुँचता है जहाँ उन्हें गाँव वालों के ग़ुस्से और नाराज़गी का सामना करना पड़ता है। लेकिन लोगों को समझा पाने की बूमराह की ख़ूबी के कारण वे झील के बीच बनी उस झोपड़ी तक पहुँचने में कामयाब हो जाते हैं जहाँ संभवतः वह 'सीरियल किलर' रहता है।
झोपड़ी में बूमराह को उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा आश्चर्य मिलता है। संदिग्ध हत्यारे के साथ बातचीत के दौरान डिटेक्टिव को एक पहेली मिलती है और उसके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। उस पहेली में वास्तव में क्या लिखा था? वे कौन से प्रश्न थे जिनके आधार पर वह रहस्यमयी हत्यारा पीड़ितों के स्वर्ग या नर्क में जाने की घोषणा करता था? क्या बूमराह उस सीरियल किलर को दबोचने में सफल होगा? इन सभी सवालों के जवाब कहानीकार सुधांशु राय की ‘द किलर’ में छिपे हैं, एक ऐसी कहानी जो आपको स्वयं की वास्तविकता का पता लगाने के लिए मजबूर करेगी।
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