जब हबीब तनवीर (1923- 2009) का निधन हुआ तो सभी नाट्य प्रेमियों के मन में ये प्रश्न था कि अब उनके उन नाटकों का क्या होगा जिनको उन्होंने निर्देशित किया था। `आगरा बाज़ार’, `चरणदास चोर’, `हिरमा की अमर कहानी’ जैसे नाटकों की आगामी प्रस्तुतियों के भविष्य को लेकर नाट्य प्रेमियों के मानस पटल पर सवाल छाए हुए थे। वैसे भी हिंदी में नाट्य प्रस्तुतियों की उम्र कम होती है। अमूमन दस, बीस, पचास शो हो जाएँ तो हिंदी में बहुत बड़ी चीज मानी जाती है। सौ हो जाएँ तो क्या कहना! और जब निर्देशक नहीं रहता, उसका निधन हो जाता है तो उसके द्वारा निर्देशित नाटक लगभग बंद हो जाते हैं। इसलिए ये संदेह स्वाभाविक था कि अब हबीब साहब के नाटकों और उनकी रंगमंडली `नया थिएटर’ का क्या होगा?
भारंगम 2025: आगरा बाज़ार- ये 'नजीर-महिमा' भी है और 'हबीब-महिमा' भी
- विविध
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- रवीन्द्र त्रिपाठी
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- 16 Feb, 2025


रवीन्द्र त्रिपाठी
भारंगम 2025 में प्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर के नाटक ‘आगरा बाज़ार’ का मंचन हुआ। जानिए इस क्लासिक नाटक की प्रस्तुति और दर्शकों की प्रतिक्रिया।
पर इस बार के भारंगम में जब नाट्यप्रेमियों ने `आगरा बाज़ार’ देखा तो सबके मन में तसल्ली का भाव उठा कि ये नाटक अपना पुराना जादू बरकरार रखे हुए है। हबीब साहब के सहयोगी रामचंद्र सिंह ही अब `नया थिएटर’ के मुख्य कर्ताधर्ता हैं, यानी निर्देशक हैं, और `आगरा बाज़ार’ पर निर्देशकीय नियंत्रण उनका ही है, हालाँकि बतौर निर्देशक नाम हबीब तनवीर का ही जाता है। ये उचित ही है क्योंकि इसके बहाने हबीब तनवीर अशरीरी तौर पर ही सही, हमारे बीच बने रहते हैं।