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उत्तरकाशी में बचाव अभियान में तकनीकी ख़राबी आने की वजह से देरी हो रही है। रिपोर्ट है कि गुरुवार को जब बचाव अभियान अपने अंतिम चरण में था तो जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन लगी हुई है उसमें कुछ दरारें आ गईं। इससे अभियान को रोकना पड़ गया। अमेरिकी ऑगर ड्रिलिंग मशीन से बचाव अभियान चलाया जा रहा है।
उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के लिए बचाव का प्रयास शुक्रवार को13वें दिन भी युद्ध स्तर पर जारी है। बचाव कार्य में लगे अधिकारियों ने कहा है कि बचाव दल श्रमिकों को वापस लाने के लिए मार्ग ढूंढने से सिर्फ कुछ मीटर दूर है। श्रमिकों के लिए सुरंग के बाहर एम्बुलेंस इंतजार कर रही हैं और फँसे हुए श्रमिकों के लिए ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में आईसीयू बेड बनाए गए हैं।
बचाव अभियान के दौरान गुरुवार को भी कई बार काम को रोकना पड़ा था क्योंकि अवरोध मिले थे। गुरुवार को ड्रिलिंग मशीन पहले किसी चीज से टकरा गई थी। फिर ब्लॉक को हटाने के लिए मेटल कटर का इस्तेमाल किया गया और ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ। बाद में फिर से बिल्कुल वैसी ही रुकावट आई। और अब ख़बर है कि ऑगर मशीन वाले प्लेटफॉर्म में दरारें आई हैं।
ऑगर ड्रिलिंग मशीन को ठीक करने के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा उत्तरकाशी सुरंग के बाहर बचाव अभियान स्थल पर एक मशीन लाई गई। अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने एएनआई को बताया कि फँसे हुए 41 श्रमिकों तक पहुंचने के प्रयास जारी हैं और बचाव दल सिर्फ कुछ मीटर दूर है। ऑपरेशन को गति देने में मदद के लिए दिल्ली से सात विशेषज्ञों की एक टीम साइट पर पहुंची है।
फँसे हुए श्रमिकों के लिए ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में आईसीयू बेड आरक्षित हैं। एम्स ऋषिकेश के अस्पताल प्रशासन डॉ. नरिंदर कुमार ने कहा, 'अगर ज़रूरत पड़ी तो बचाए गए लोगों को एम्स ऋषिकेश लाने की योजना है। सरकार ने उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में व्यवस्था की है। उन्हें पहले वहां ले जाया जाएगा। हमने यहां भी व्यवस्थाएं कीं। उनके लिए ट्रॉमा और आईसीयू बेड आरक्षित किए गए हैं।'
यह सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है। उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए प्रस्तावित सड़क पर उत्तराखंड में सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच यह स्थित है। 4.5 किमी लंबी सुरंग का काम ज्यादातर पूरा हो चुका है। 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद मजदूर सुरंग में फंस गए थे। निर्माणाधीन सुरंग के उस हिस्से में बिजली और पानी की आपूर्ति होने की वजह से मजदूर अभी तक सुरक्षित हैं।
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