loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
57
एनडीए
23
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
226
एमवीए
53
अन्य
9

चुनाव में दिग्गज

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

आगे

गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर

पीछे

कनखल (हरिद्वार) के इस मंदिर में ड्रेस कोड लागू किया गया है।

उत्तराखंड के 3 मंदिरों में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड क्या लागू हो पाएगा?

भाजपा शासित उत्तराखंड में महानिर्वाणी अखाड़े के अंतर्गत आने वाले तीन प्रमुख मंदिरों में महिलाओं और लड़कियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने मंगलवार को दी है। यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तराखंड में दो बड़े तीर्थ स्थल केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम सरकार की देखरेख में संचालित होते हैं, उनमें किसी प्रकार का ड्रेस कोड लागू नहीं है। इसी तरह हरिद्वार में ढेरों मंदिर हैं, उनमें भी कोई ड्रेस कोड लागू नहीं किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे ड्रेस कोड लागू किए जा सकते हैं और क्या इनका पालन करा पाना मुमकिन होगा। 
महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने एएनआई को बताया कि महिलाएं और लड़कियां छोटे कपड़े पहनकर महानिर्वाणी अखाड़े के तहत आने वाले तीन मंदिरों में अब प्रवेश नहीं कर सकती हैं।

कौन कौन से मंदिर

उन्होंने कहा कि इन मंदिरों में हरिद्वार के कनखल में दक्ष प्रजापति मंदिर, पौड़ी जिले में नीलकंठ महादेव मंदिर और देहरादून में टपकेश्वर महादेव मंदिर शामिल हैं। ये तीनों मंदिर महानिर्वाणी अखाड़े के अंतर्गत आते हैं। अब इनमें सभी संस्कारों का पालन करते हुए आने की इजाजत होगी।

ताजा ख़बरें
'मंदिर मनोरंजन की जगह नहीं' उन्होंने कहा कि अखाड़े ने मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि मंदिर आत्मनिरीक्षण का स्थान है मनोरंजन का नहीं। महानिर्वाणी अखाड़ा की ओर से महिलाओं और लड़कियों से अपील की गई है कि अगर वे मंदिर में पूजा के लिए आ रही हैं तो वे भारतीय परंपरा के अनुसार कपड़े पहनें। तभी उन्हें मंदिर में प्रवेश मिलेगा।"

महंत रवींद्र पुरी ने लड़कियों और महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों से अपील की कि वे मंदिरों में कम से कम 80 फीसदी शरीर को ढक कर ही आएं।
उन्होंने दावा किया कि दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के मंदिरों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है। उन्होंने कहा, "अब यहां भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है। ताकि मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की असहज स्थिति का सामना न करना पड़े।"

नागपुर में भी ड्रेस कोड

एएनआई के मुताबिक नागपुर के कुछ मंदिर भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करते हैं। इससे पहले, महाराष्ट्र के नागपुर जिले में चार मंदिरों ने भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया था। बहरहाल, उत्तराखंड के ही धंतोली के गोपाल कृष्ण मंदिर, बेल्लोरी (सावनेर) के संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर, कनोलीबारा के बृहस्पति मंदिर और हिलटॉप क्षेत्र के दुर्गा माता मंदिर में 26 मई से ड्रेस कोड लागू किया गया है।

उत्तराखंड से और खबरें

पूजा स्थलों में ड्रेस कोड का मुद्दा इस महीने की शुरुआत में सुर्खियों में था, जब महाराष्ट्र के प्रसिद्ध तुलजा भवानी मंदिर ने यह नियम करने की कोशिश की थी कि आने वाले श्रद्धालु कैसे कपड़े पहनें। मंदिर से कहा गया था कि भक्तों को "आपत्तिजनक" कपड़े नहीं पहनने चाहिए। यह निर्णय उत्तरी महाराष्ट्र के जलगाँव में महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद की बैठक के बाद लिया गया।

उपसंहार

कभी कहा गया यह जुमला आज भी प्रसिद्ध है - इंसान की पहचान उसके कपड़ों से होती है। भारतीय संविधान ने हम क्या खाएंगे, क्या पहनेंगे, क्या भाषा बोलेंगे, इसकी छूट दी है। लेकिन तमाम राज्यों में सरकारें अपनी सुविधा अनुसार तमाम प्रतिबंध लागू करती रहती हैं। लेकिन संस्थाएं भी अब ड्रेस कोड लागू करने लगी हैं। लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे ड्रेस कोड लागू करा पाना मुश्किल होता है। कर्नाटक में पिछली बीजेपी सरकार ने मुस्लिम लड़कियों और टीचरों पर हिजाब लगाकर स्कूल-कॉलेज आने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट का अभी अंतिम फैसला आना बाकी है। एक नेता ने तो मुस्लिमों को उनके ड्रेस से पहचाने जाने की बात अपने भाषण में कही थी। लेकिन मंदिर, मस्जिद, दरगाह, गुरुद्वारा, चर्च, सिनेगॉग जैसी सार्वजनिक जगहों पर ड्रेस कोड लागू करना अटपटा है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तराखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें