उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अचानक दिल्ली बुलाए जाने से राज्य के अंदर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है। तीरथ इन दिनों संवैधानिक संकट का सामना कर रहे हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के मुताबिक़, चूंकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधायक नहीं हैं इसलिए उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए मुख्यमंत्री चुने जाने के दिन से छह महीने के अंदर विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बनना होगा और यह समय सीमा 9 सितंबर को ख़त्म हो जाएगी। ऐसे में तीरथ के पास दो महीने से कुछ ज़्यादा दिन का वक़्त ही बचा है।
तीरथ सिंह रावत अभी पौड़ी सीट से सांसद हैं और उन्होंने 10 मार्च, 2021 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
लेकिन यहां भी एक मुश्किल है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का अनुच्छेद 151ए यह भी कहता है कि ऐसे राज्य में जहां चुनाव होने में एक साल से कम का वक़्त हो, वहां उपचुनाव नहीं कराए जा सकते।
राज्य की विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में ख़त्म होगा। इसका मतलब अभी 9 महीने का वक़्त बचा हुआ है। लेकिन अनुच्छेद 151ए के हिसाब से देखें तो तीरथ सिंह रावत के लिए 9 सितंबर, 2021 के बाद मुख्यमंत्री के पद पर बने रहना संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि वे विधायक नहीं हैं और राज्य में चुनाव होने में एक साल से कम का वक़्त बचा है और ऐसे में यहां उपचुनाव नहीं कराए जा सकते।
अब ऐसे में बीजेपी करे तो क्या करे, इसी पर पार्टी में विचार चल रहा है। उधर, कांग्रेस ने इस मामले में राज्यपाल को पत्र लिखकर इस संवैधानिक संकट को दूर करने की गुहार लगाई है। इस साल मार्च में बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर तीरथ सिंह रावत को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी थी।
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आलाकमान के सामने मुश्किल
एक चर्चा यह चल रही है कि राज्य में विधानसभा भंग कर चुनाव पहले करा लिए जाएं जबकि दूसरी चर्चा यह है कि राज्य में अगर तय वक़्त पर चुनाव कराने हैं तो फिर नेतृत्व परिवर्तन करना ज़रूरी हो जाएगा। लेकिन अगर बीजेपी आलाकमान फिर से नेतृत्व परिवर्तन करता है तो उसके लिए चुनाव में लोगों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बीजेपी आलाकमान इस संवैधानिक संकट से निकलने के रास्ते खोज रहा है।
सरकार बोली- आयोग को बता दिया
राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का उपचुनाव को लेकर कहना है कि सरकार की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को यह बताने की है कि राज्य में कौन सी विधानसभा सीट खाली है और इस बारे में फ़ैसला चुनाव आयोग ही लेता है। उन्होंने कहा कि आयोग को इस बारे में सूचना दे दी गई है। राज्य में इन दिनों दो सीट- गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं। ये दोनों सीटें यहां के विधायकों के निधन के बाद खाली हुई हैं।
राज्यपाल को लिखा पत्र
उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को पत्र लिखकर कहा है कि तीरथ सिंह रावत के विधानसभा का सदस्य बनने की संभावना कमज़ोर होती जा रही है और इस कारण पैदा हुए संवैधानिक संकट की वजह से नौकरशाही का मनोबल टूट रहा है। इससे पहले भी कांग्रेस के कई नेता राज्य में उपचुनाव को लेकर स्थिति साफ करने की मांग कर चुके हैं।
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