जोशीमठ शहर पर मँडरा रहे अस्तित्व के संकट से पहले झारखंड का सम्मेद शिखरजी का मामला सुर्खियों में था। दो जैन मुनियों ने इस पवित्र तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने के प्रयास के ख़िलाफ़ अपने प्राण त्यागे और जैन समुदाय के हज़ारों लोगों ने देश के विभिन्न शहरों में सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया।
अंतत: केंद्र सरकार ने तीन साल पहले लिए गये अपने ही फ़ैसले को वापस ले लिया और पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके सम्मेद शिखरजी के आसपास सभी तरह की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी।
विकास के बुलडोज़र का ख़ामियाज़ा भुगत रहा है जोशीमठ
- उत्तराखंड
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- 31 Feb, 2023

जोशीमठ पर आया संकट अप्रत्याशित नहीं है। 1976 में गढ़वाल के तत्कालीन कमिश्नर एम.सी.मिश्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने ग्लेशियर के मलबे पर बसे शहर के भविष्य को लेकर अपनी आशंका जता दी थी। लेकिन कमेटी और विशेषज्ञों की राय को दरकिनार कर दिया गया।
जैन समुदाय की जागरूकता ने आध्यात्मिकता से जुड़े हुए एक तीर्थ को कारोबारियों के हाथों बर्बाद होने से बचा लिया लेकिन अफ़सोस कि ऐसी संवेदनशीलता जोशीमठ को लेकर नहीं दिखाई गयी जिसे बद्रीनाथ और हेमकुंड साहब जैसे तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार कहा जाता है।