loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
57
एनडीए
23
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
226
एमवीए
53
अन्य
9

चुनाव में दिग्गज

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

आगे

चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला

आगे

उत्तराखंड बीजेपी नेता की बेटी का विवाह रद्द; शादियाँ भी हिंदुत्व संगठन तय करेंगे?

शादी कौन किससे करे? क्या अब यह नफ़रत के सौदागर तय करेंगे? क्या हाशिए के संगठनों के दबाव में युवक-युवती की पसंद की शादी नहीं होगी? क्या सोशल मीडिया के ट्रोल लोगों की ज़िंदगियाँ तय करेंगे? ये सवाल इसलिए कि उत्तराखंड में बीजेपी नेता यशपाल बेनाम की बेटी और मुसलिम लड़के की शादी को रद्द कर दिया गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी नेता ने हिंदुत्व संगठनों के दबाव के बाद अपनी बेटी की शादी रद्द की है।

पौड़ी-गढ़वाल नगर पालिका के अध्यक्ष यशपाल बेनाम की बेटी मोनिका की शादी 28 मई को मूल रूप से अमेठी के रहने वाले मोनिस अहमद के साथ होनी तय थी। मोनिका और मोनिस की शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो विवाद हो गया। इस शादी को लेकर कई लोगों ने बीजेपी के सदस्य और समर्थक यशपाल बेनाम की आलोचना की। हिंदुत्व संगठनों ने इस शादी का जोर-शोर से विरोध किया। विरोध करने वालों ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं।

ताज़ा ख़बरें

इस विरोध के बीच ही बीजेपी नेता यशपाल बेनाम ने विरोध करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। द टेलीग्राफ़ की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले उन्होंने कहा था, 'ये 21वीं सदी है और हमारे बच्चों के पास अपने फ़ैसले ख़ुद लेने का अधिकार है। किसी को इसका विरोध नहीं करना चाहिए।' बेनाम ने कहा था, 'जो लोग इस शादी को धर्म के नज़रिये से देख रहे हैं मैं उनसे ये कहना चाहता हूँ कि ये दो परिवारों के लिए बहुत अहम है। इसमें दो युवा शामिल हैं और यहाँ धर्म सबसे कम महत्वपूर्ण चीज़ है।' हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ किया था कि यह शादी हिंदू रीति-रिवाज़ से होगी। 

पत्रकारों से बात करते हुए यशपाल बेनाम ने कहा था कि उन्होंने अपनी बेटी की खुशी के लिए उसकी शादी एक मुस्लिम युवक से करने के बारे में सोचा। लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रस्तावित शादी पर प्रतिक्रिया दी, उसे देखते हुए इसे टाल दिया गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अब बेनाम ने कहा है, 'अब मुझे जनता की आवाज भी सुननी है।' उन्होंने कहा कि पौड़ी शहर में 28 मई को होने वाली शादी को अब रद्द कर दिया गया है।

उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि जैसा माहौल बनाया गया, उसे देखते हुए दोनों परिवारों ने साथ बैठकर यह फैसला किया है कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें पुलिस के साये में विवाह कार्यक्रम संपन्न करवाना शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा, 'माहौल अनुकूल नहीं होने के कारण और जनता का ध्यान रखते हुए दोनों परिवारों ने तय किया है कि आगामी 26, 27 और 28 को होने वाले विवाह कार्यक्रम न किए जाएँ।
उत्तराखंड से और ख़बरें

बता दें कि हिंदुत्व संगठनों ने शुक्रवार को भाजपा नेता बेनाम का पुतला फूंक कर उनकी बेटी के मुस्लिम से शादी करने के विरोध में प्रदर्शन किया था। विहिप, भैरव सेना और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। रिपोर्ट के अनुसार जिला विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक गौड़ ने कहा कि हम इस तरह की शादी का कड़ा विरोध करते हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के गौसेवा आयोग के सदस्य और बीजेपी से जुड़े धर्मवरी गोसाईं ने कहा है कि हम इस तरह की शादियों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

उनका यह विरोध-प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब मोनिका और मोनिस की शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। बेनाम की पत्नी उषा रावत की तरफ़ से जारी शादी के निमंत्रण पत्र में दूल्हा और दुल्हन हाथों में मालाएँ लिए खड़े दिखे।

मोनिस और मोनिका लखनऊ यूनिवर्सिटी में साथ में पढ़ते थे और दोनों ने शादी करने का फ़ैसला किया था। पहले दोनों परिवारों ने उनके इस फ़ैसले का समर्थन किया था।

युवक-युवती की पसंद और दोनों घरवालों की मर्जी से प्रस्तावित अंतररधार्मिक शादी को तब तोड़ने की नौबत आ रही है जब इस देश को समावेशी बनाने की बात कही जा रही है। बीजेपी सरकार लगातार कहती रही है कि समाज को समावेशी बनाना है और लोगों के बीच में किसी तरह के भेदभाव को ख़त्म करना है। यहाँ तक कि देश में कई राज्य सरकारें तो अंतरजातीय शादियों को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक मदद भी देती हैं। लेकिन यह अजीबोगरीब बात है कि 21वीं सदी में भी दो लोगों, परिवारों के बीच की अंतरधार्मिक शादी को हिंदुत्व संगठनों की वजह से रद्द करना पड़े!

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तराखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें