उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में बीते 6 दिन से फंसे 40 मजदूरों को निकालने का प्रयास तेज कर दिया गया है। रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने के लिए देश और विदेश से कई एक्सपर्ट टीमें पहुंच चुकी हैं।
पूर्व में रेस्क्यू अभियान में लगी टीमों को जब सफलता हाथ नहीं लगी है तो दिल्ली से अत्याधुनिक आगर ड्रील मशीन मंगवाई गई है। ड्रिलिंग के काम में तब बाधा आयी जब शुक्रवार की सुबह सुरंग के अंदर 25 मीटर की खुदाई के बाद मशीन ने काम करना बंद कर दिया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक खुदाई करते समय धातु के बड़े टुकड़े से टकराने के बाद मशीन रुक गई थी। फिर उस धातु के टुकड़े को गैस कटर से काट कर हटाया गया और खुदाई दुबारा शुरु हुई।
टनल के अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए अब यह नई आगर ड्रिलिंग मशीन ही उम्मीद है। मशीन लगातार काम कर रही है। एक घंटे में पांच मीटर की खुदाई कर रही है। लगातार यह कोशिश हो रही है कि मशीन तेजी से ड्रील करे और जल्द से जल्द मजदूरों को निकाला जाये। इसके लिए इंजीनियरों और मजदूरों को तीन शिफ्ट में ड्यूटी पर लगाया गया है।
इस बीच टनल के अंदर फंसे एक मजदूर का ऑडियो सामने आया है जो अपने परिजनों से फोन पर बात कर रहा था। उस मजदूर ने कहा कि अंदर वे सभी ठीक हैं।
इस बीच शुक्रवार की दोपहर अंदर फंसे 40 में से दो मजदूरों की तबियत खराब होने की जानकारी सामने आयी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से एक मजदूर अस्थमा और दूसरा डायबिटीज से पीड़ित है। इन मजदूरों को खाना और पानी भेजने वाले पाइप से दवा भी नियमित तौर पर भेजी जा रही है।
अंदर फंसे मजदूरों को खाने के लिए भुने और अंकुरित चना, बिस्किट, सूखे मेवे और चिप्स भेजे जा रहे हैं। उन्हें ग्लूकोज और पानी की सप्लाई भी लगातार की जा रही है। उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जा रहा है। इसके लिए दिन में तीन बार उनकी बात परिजनों या टनल से जुड़े अधिकारियों से करवाई जा रही है।
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अब मजदूरों को लेकर बढ़ रही हैं चिंता
सुरंग में लंबे समय से फंसे हुए मजदूरों के स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ता जा रहा है। लंबे समय तक वहां रहने से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़े समस्याएं हो सकती हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 12 नवंबर को, निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिससे 40 निर्माण श्रमिक मलबे में फंस गए। इन्हें बचाने के लिए अब थाईलैंड और नॉर्वे से बचाव टीमें भी आयी हैं। इसमें 2018 में थाईलैंड की एक गुफा में फंसे बच्चों को सफलतापूर्वक बचाने वाली टीम भी शामिल है।एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक बचावकर्मियों ने मलबे में 24 मीटर तक खुदाई की है और फंसे हुए मजदूरों को भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए चार पाइप लगाए हैं।
डॉक्टरों ने फंसे हुए मजदूरों के लिए पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्हें डर है कि लंबे समय तक एक जगह कैद रहने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की दिक्कतों का सामना मजदूरों को करना पड़ सकता है।
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आज देर रात तक निकाले जा सकते हैं मजदूर
ड्रिलिंग कर रही टीम की कोशिश है कि शुक्रवार की देर रात या शनिवार तक ड्रिलिंग का काम पूरा कर फंसे हुए मजदूरों को टनल से निकाला जाए। सामने आयी जानकारी के मुताबिक टनल के मलबे के अंदर दो मशीनें भी दबी हैं।इसलिए ड्रिलिंग के दौरान इंजीनियर ध्यान दे रहे हैं कि वे मशीनें ऑगर मशीन के रास्ते में न आएं। टनल में आया मलबा कितनी दूर तक फैला है इसका सही आकलन नहीं हो पा रहा है। इंजीनियरों के मुताबिक 60 मीटर तक टनल धंसी हो सकती है।
अनुमान है कि मलबा इतने ही मीटर में फैला होगा। एक्सपर्ट भौगोलिक स्टडी भी कर रहे हैं ताकि खुदाई के काम में कोई बाधा नहीं आये। करने की तैयारी कर रहे हैं। सुरंग में फंसे कुछ मजदूरों के पास फोन थे ये अब डिस्चार्ज हो गए हैं। उनके पास कुछ वॉकी-टॉकी सेट हैं, जिनकी मदद से उन्हें हिम्मत बंधाई जा रही है कि जल्द ही उन्हें बचा लिया जाएगा।
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