लो ख़त्म हो गई कहानी। जिस पिता का जायज पुत्र कहलाने के लिए रोहित शेखर तिवारी ने सारी उम्र लगा दी, उसी पिता की मौत के छह महीने के भीतर ही शेखर तिवारी की भी मौत हो गई। अब यह मौत एक रहस्य है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है लेकिन हत्यारा कौन है, यह गुत्थी सुलझाई जानी बाक़ी है।
16 अप्रैल की शाम को 40 वर्षीय रोहित शेखर तिवारी अपने घर में बेहोश मिले थे। सी-327 डिफ़ेंस कॉलोनी की इस कोठी में रोहित शेखर को इस हालत में उनके नौकर ने देखा था। शेखर की नाक से खून बह रहा था और शरीर में कोई हरकत नहीं था। शेखर की माँ तब मैक्स अस्पताल साकेत में अपनी किसी बीमारी के इलाज के लिए गई हुईं थी। शेखर को वहीं ले जाया गया और वहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल लाने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी।
शेखर की माँ उज्जवला तिवारी के अनुसार उनका बेटा डिप्रेशन में था और उसका इलाज चल रहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि जिन लोगों के कारण शेखर डिप्रेशन में था, उनका नाम वह बाद में उजागर करेंगी।
शेखर को जब कांग्रेस में कोई महत्व नहीं मिला तो 2017 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले शेखर अपने पिता के साथ बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन जब बीजेपी में भी दाल नहीं गली तो फिर एलान कर दिया कि बीजेपी में गए ही नहीं थे, कांग्रेस में ही हैं। इस दौरान उन्होंने मुलायम सिंह के साथ भी नजदीकियाँ बढ़ाने की कोशिश कीं। कहने का मतलब यह है कि कहीं भी पैर न जमाने का डिप्रेशन शेखर के मन में भी था। इसलिए उनके डिप्रेशन का इलाज भी चल रहा था। इतने सारे मुश्किल हालात को देखते हुए सभी को ऐसा लग रहा था कि शायद यह नेचुरल डेथ ही है।
शेखर की मौत स्वाभाविक थी, इसमें कोई संदेह न हो, इसलिए परिवार के किसी सदस्य ने पोस्टमॉर्टम करने पर एतराज भी नहीं किया लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो सभी के पाँवों तले से ज़मीन खिसक गई। अब 302 यानी हत्या का मामला दर्ज हो चुका है और इस पहेली को सुलझाने की कोशिश की जा रही है कि आख़िर शेखर की हत्या किसने की।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि शेखर की हत्या मुँह दबाकर की गई है। रिपोर्ट में गर्दन पर कुछ निशानों का भी जिक्र है। रिपोर्ट के अनुसार शेखर की मौत 15 और 16 अप्रैल के बीच की रात को एक और डेढ़ बजे के बीच हो गई थी। उनकी हत्या एक या ज़्यादा सिरहानों से की गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आते ही दिल्ली पुलिस ने जाँच का काम क्राइम ब्रांच को सौंप दिया और क्राइम ब्रांच ने मौके पर पहुँचकर वे सिरहाने बरामद कर लिए जो खून से सने हुए थे। पुलिस ने बहुत सारे और भी सबूत इकट्ठे किए हैं जिनमें खून से सने रुई के टुकड़े और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी शामिल है।
अब सवाल यह पूछा जा रहा है कि अगर शेखर की हत्या हुई है तो फिर यह हत्या कौन कर सकता है। हत्या का भेद खुलने के फौरन बाद शेखर की माँ उज्जवला तिवारी ने अपनी बहू अपूर्वा की तरफ शक की सुई घुमा दी है।
पुलिस ने अभी अज्ञात के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया है। पोस्टमार्टम की पूरी रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है और उसके साथ विसरा की रिपोर्ट भी पुलिस को जाँच में मदद कर सकती है। अब देखना यह है कि शेखर की मौत का रहस्य कब तक खुल पाता है या फिर यह मौत भी हाई प्रोफ़ाइल सुनंदा पुष्कर हत्याकांड की तरह ही रहस्य बनकर रह जाती है।
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