राहत व बचाव कार्य जारी
यह ग्लेशियर शुक्रवार की रात को फटा। फिलहाल, राहत व बचाव कार्य जारी है, एसडीआरएफ़ को तैनात कर दिया गया है। एसडीआरएफ़ ने एनडीटीवी से बताया कि बर्फीली तूफान वाली जगह पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मजदूरों के दो कैम्प बनाए हुए थे। यहाँ पर पुल निर्माण का काम चल रहा था। जिस समय तूफान आया मौसम बहुत खराब था।
इसके पहले लगातार पाँच दिनों से भारी बारिश हो रही थी, बीच बीच में बर्फबारी भी चल रही थी। मौसम के बहुत अधिक खराब और बर्फबारी की वजह से कई जगहों पर रास्ता बंद हो गया था। इस कारण राहत व बचाव टीम को हादसे की जगह पर पहुँचने में देर हुई। जिस जगह ग्लेशियर फटा है, वहाँ से सेना का कैंप करीब तीन किलोमीटर दूर है। ख़बर मिलते ही सेना के जवान वहाँ पहुँच गए और बचाव कार्य का मोर्चा संभाल लिया है। खराब मौसम की वजह से इसमें दिक्कत हो रही है।
बता दें कि आईआईटी कानपुर, वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ़ हिमालयन जीओलॉजी, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और एचएनबी गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने 1980 से 2017 के बीच उस इलाके के ग्लेशियर में हुए बदलाव पर अध्ययन किया था।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव गतिविधियों और तामपान बढ़ने की वजह से ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यह ट्रेंड जारी है। इस रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि पनबिजली परियोजना की वजह से ही ऐसा हो रहा है। लेकिन परियोजना शुरू होने के बाद इसमें बढोतरी हुई है, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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