क्या बीजेपी आलाकमान योगी आदित्यनाथ के किसी प्रकार के दबाव में है? इस बात पर विचार करना दरअसल कड़क हिन्दू हृदय सम्राट दिखने वाले योगी को 'ओवर एस्टीमेट' किया जाना होगा। पार्टी आलाकमान भली-भांति सन 2007 में अपनी गिरफ़्तारी के बाद संसद में फूट-फूट कर रोने वाले योगी आदित्यनाथ को भूला नहीं है। तब सवाल यह है कि क्यों 'संघ' और भाजपा उनकी उस प्रशासनिक प्रबंधन प्रणाली का बार-बार महिमामंडन कर रहे हैं जिसे भाजपा के अनेक मंत्री, विधायक एवं सांसद बारम्बार 'कंडम' कर चुके हैं?
यूपी: क्या योगी आदित्यनाथ बीजेपी को चुनाव जिता सकेंगे?
- उत्तर प्रदेश
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- 7 Jun, 2021
कोसी लेकिन हर बार एक ही दिशा में नहीं बहती। क्या 'आरएसएस' और बीजेपी की 'हिन्दू कार्ड' की क्लीन चिट योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी के लिए 'आयुष्मान भव' साबित होंगी? क्या हिन्दुओं की ‘पवित्र’ गंगा में लहरें बनकर तैरने वाली यूपी की बदइंतज़ाम और बर्बादियों की हौलनाक कहानियाँ योगी की बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मतदाता का सामना कर पाने का हौसला दे सकेंगी?

जिस तरह दिल्ली में आलाकमान से बैठक करने के बाद आनन-फानन में शनिवार की रात प्रदेश के प्रभारी राधामोहन लखनऊ पहुँचे, देर रात ही उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव को तलब किया, गवर्नर आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से अपॉइंटमेंट माँगा और अगले दिन दोनों से मिले भी, उससे स्पष्ट है कि बीजेपी के भीतर सरकार और संगठन-दोनों स्तर पर व्यापक फेरबदल होने को है। लेकिन तब इतना संभल-संभल कर क्यों डग रखे जा रहे हैं? क्यों पार्टी के प्रदेश प्रभारी राज्यपाल और स्पीकर से हुई मीटिंग को शिष्टाचार की भेंट बता रहे है?