विकास दुबे मारा गया। सुबह 7 बजे के आसपास कानपुर में रवानगी के दौरान बीच रास्ते इस तरह पुलिस की गाड़ी को पलटना ही था! गाड़ी पलटने के बाद उसे इस तरह पुलिस वालों से हथियार लेकर भागना ही था! और सबसे अंत में चेतावनी देने के बावजूद न रुकने पर उसे एनकाउंटर में मार गिराया जाना ही था!
विकास दुबे: ‘...फिर हमें उसकी साँसों की कोई ज़रूरत नहीं!’
- उत्तर प्रदेश
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- 10 Jul, 2020

विकास दुबे जैसों का जन्म अगर लोकतंत्र के लिए ख़तरे की घंटी है तो उसे इस मुठभेड़ में मार दिया जाना भी ख़तरे की घंटी है और सबसे ख़तरनाक है इन घंटी-घंटों को अपने हाथ में लेकर घूमने वाले 'लोकतंत्र प्रहरियों' का छुट्टा घूमते रहना।
उज्जैन में हुई गिरफ़्तारी के फ़ौरन बाद ही लखनऊ स्थित एसटीएफ़ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'सत्य हिंदी' से बातचीत में कहा था ‘उसे आने दीजिये। हम जान लें कि इन 5 दिनों में उसके क्या-क्या हाइड आउट्स रहे, कौन-कौन उसे शील्ड कर रहा था। फिर उसकी साँसों की हमें कोई ज़रूरत नहीं।’ इसी बातचीत के आधार पर हमने कल ख़बर प्रकाशित की थी कि विकास दुबे कानपुर की जेल तक नहीं पहुँच पायेगा।