यूपी का कोई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री, चीफ़ सेक्रेटरी (होम) और डीजीपी को गोपनीय पत्र लिख कर यह बताने लग जाए कि प्रदेश में आईपीएस और कतिपय फ़र्ज़ी पत्रकारों की एक ऐसी लॉबी काम कर रही है जो 50 से 80 लाख रुपये लेकर ज़िलों में एसएसपी की पोस्टिंग-ट्रांसफर कराती है तो इसे एक गंभीर मामले के रूप में देखा जाना चाहिए। यह मामला तब और भी गंभीर बन जाता है जब उक्त अधिकारी की चिट्ठी पर किसी सकारात्मक जाँच की जगह उसी को दंड देने की नीयत से निलंबन का आदेश थमा दिया जाता हो।